पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, June 28, 2009

धारा 377 खत्म करने के पक्ष में चिदंबरम,मोइली!




केंद्र भारतीय दंड संहिता की उस विवादास्पद धारा को खत्म करने पर विचार कर रहा है जिसमें समलैंगिकता को आपराधिक कृत्य माना गया है। माना जाता है कि चिदंबरम और कानून मंत्री वीरप्पा मोइली धारा 377 को खत्म किए जाने के पक्ष में हैं लेकिन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को खत्म करने पर आम सहमति बनाने के लिए केंद्र जल्द ही एक बैठक करेगा।
सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता वाली बैठक में भादंसं की विवादास्पद धारा को खत्म किए जाने पर विचार किया जाएगा जो समान लिंग के लोगों के बीच सेक्स संबंधों को प्रतिबंधित करती है।
चिदंबरम और कानून मंत्री वीरप्पा मोइली के बारे में माना जाता है कि वे धारा 377 को खत्म किए जाने के पक्ष में हैं लेकिन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गृह और स्वास्थ्य मंत्रियों से मुद्दे पर मतभेदों के समाधान और दिल्ली उच्च न्यायालय को विस्तृत जवाब देने को कहा था जो कानून के तहत गिरफ्तारियों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदास की अदालत के समक्ष इस मुद्दे पर अलग-अलग राय थी। मामले को गंभीर करार देते हुए उच्च न्यायालय ने मामले को जल्द से जल्द सुलझाने के निर्देश दिए हैं।
समलैंगिक काफी समय से धारा 377 को खत्म किए जाने की मांग करते रहे हैं तो वहीं समाज में उनकी इस मांग का विरोध भी होता रहा है।

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