पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, June 25, 2009

पुलिस नहीं बना सकती हेलमेट का चालान।

हेलमेट मामले को लेकर उदयपुर न्यायालय में चल रहे प्रकरण में बुधवार को एक सब इंस्पेक्टर (यातायात) द्वारा दिए गए बयान से एकबारगी यह साफ हो गया है कि पुलिस को हेलमेट के सम्बन्ध में चालान बनाने का कोई अधिकार नहीं है।
एडवोकेट सुन्दरलाल माण्डावत ने बताया कि हेलमेट को लेकर न्यायालय में चल रहे हेमेन्द्र बनाम राज्य सरकार प्रकरण में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान यातायात पुलिस के सब इंस्पेक्टर रमेश कविया ने अपने बयान में यह स्वीकार किया कि इस्तगासा बनाना, चालान बनाना व कम्पाउडिंग राशि लेना तीनों ही अलग-अलग होकर राज्य सरकार द्वारा जो अधिसूचना जारी की गई उसमें मात्र कम्पाउण्ड के अधिकार प्रदान किये गए है। 
माण्डावत ने बताया कि कविया ने बयान में यह स्वीकार भी किया कि राज्य सरकार ने २४ फरवरी २००९ को जो अधिसूचना जारी की उसमें पुलिस को हेलमेट के मामले में चालान व इस्तगासा प्रस्तुत करने अधिकृत नहीं किया गया।
 कविया ने यह भी स्वीकार किया कि हेलमेट नहीं पहनना धारा १२९ के तहत अपराध है। मगर राज्य सरकार ने २४ फरवरी २००९ को जो अधिसूचना जारी की उसमें धारा १२९ को शामिल नहीं किया गया है।
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा १८४ के मामले में सब इंस्पेक्टर कविया ने इस बात को स्वीकार किया कि मोटर व्हीकल एक्ट की इस धारा में केन्द्र सरकार द्वारा संशोधन किया या नहीं मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
एडवोकेट माण्डावत ने बताया कि कविया ने आज कोर्ट में जो बयान दिए उससे साफ हो जाता है कि हेलमेट को लेकर पुलिस को चालान बनाने व इस्तगासा बनाने कोई अधिकार नहीं है तथा उदयपुर पुलिस हेलमेट को लेकर लोगों से कम्पाउंडिंग राशि ले रही है वह भी गलत है।

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