पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, June 28, 2009

कानून में बदलाव की जरूरत:राष्ट्रपति प्रतिभा



अदालतों में मामलों के लंबित पड़े रहने पर चिंता जाहिर करते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने आज पुराने कानूनों में सुधार तथा न्यायिक संस्थानों को मजबूती प्रदान किए जाने की जरूरत पर बल दिया। 
ठाणे जिले के उत्तान में महाराष्ट्र ज्यूडिशियल एकाडमी का उद्घाटन करते हुए पाटिल ने कहा न्यायपालिका को जिन प्रमुख मुद्दों से दोचार होना पड़ रहा है उनमें से मामलों का लंबे समय से लंबित पड़े रहना है। मामलों को अंजाम तक पहुंचने में अनावश्यक रूप से लंबा समय लगता है और अपने मामलों में फैसलों के बारे में अनिश्चित होने के कारण वादी सामान्य जीवन जीने में सक्षम नहीं हो पाता। 
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का समाधान निकालना होगा। राष्ट्रपति ने कहा इसमें पुराने और अप्रासंगिक कानूनों में सुधार करना तथा न्यायिक पालिका के संस्थागत पहलू को मजबूती प्रदान करना एक उपाय हो सकता है। 
राष्ट्रपति ने कहा न्याय तक पहुंच काफी महंगी हो गयी है,चाहे यह अदालती फीस हो या वकीलों की फीस। इससे न्याय तक समाज के गरीब तबके की पहुंच को लेकर चिंता पैदा हो रही है। 
इस समारोह में भारत के प्रधान न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार राज्यपाल एस सी जमीर तथा मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी मौजूद थे। 
अकादमी निचली अदालतों में नियुक्त होने वाले नवनियुक्त जजों को प्रशिक्षण देगी।

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