पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, June 29, 2009

विधि आयोग स्थाई संविधान पीठ के पक्ष में


विधि आयोग ने संवैधानिक मामलों के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक स्थाई संविधान पीठ बनाने की वकालत की है। विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए आर लक्ष्मणन ने बताया कि शीर्ष कोर्ट में लंबित संवैधानिक मामलों की बढ़ती संख्या की वजह से स्थाई संविधान पीठ की जरूरत बढ़ गई है। लक्ष्मणन ने कहा कि न्यायिक सुधारों के मद्देनजर आयोग की यह राय भी है कि राज्यों के हाईकोर्ट के फैसलों के खिलाफ दायर की जाने वाली सभी अपीलों की सुनवाई के लिए देश के चारों हिस्सों में 'पृथक पीठ' बनाई जानी चाहिए। 

उन्होंने बताया कि 'पृथक पीठ' को सुप्रीम कोर्ट के क्षेत्राधिकार के अतंर्गत पड़ने वाले मामलों की सुनवाई का अधिकार होगा। ऐसे कदमों से मुकदमे में फंसे हुए लोगों को फायदा होगा। लक्ष्मणन ने कहा कि तीन जुलाई को विधि आयोग की होने वाली बैठक में विचार के लिए यह एक अहम मुद्दा होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में खास तौर पर संवैधानिक मुद्दों की सुनवाई के लिए स्थाई संविधान पीठ बनाने का विचार एक अच्छा सुझाव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में ऐसे करीब 50 मामले लंबित हैं। संवैधानिक मसलों की सुनवाई में लगने वाले लंबे वक्त को ध्यान में रखते हुए लक्ष्मणन ने कहा कि प्रस्तावित संविधान पीठ से मुकदमे में फंसे हुए लोगों को उनके मामलों के जल्द निपटान में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि यह पीठ केवल संवैधानिक मुद्दे देखेगी जिसमें राष्ट्रपति द्वारा विचारार्थ भेजे गए मामले भी शामिल होंगे। इसमें वो मामले भी हैं जिसमें दो या दो से अधिक राज्य एक पक्ष हों।

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