पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, July 16, 2009

पंचायत ने पति-पत्नी को खुद को भाई-बहन मानने का आदेश दिया।


दो प्रेमी दिलों ने साथ रहने का फैसला किया और शादी कर ली। उनकी शादी पर कानून की मुहर भी लग गई लेकिन जब तक वो नवविवाहित जोड़ा दिल्ली में था तब तक सब ठीक था। जैसे ही वो अपने पुश्तैनी गांव पहुंचे, वहां मच गया हंगामा। पंचायत ने उनकी शादी पर खड़े कर दिए सवाल और सुना दिया फरमान कि ये शादी जायज नहीं। शादी करने वाले पति-पत्नी नहीं बल्कि भाई-बहन हैं और अब इस फैसले के नीचे पिस रहे हैं दो परिवार। 

ये वाकया है हरियाणा के झज्जर इलाके के गांव ढलाना गांव का। यहां के रिसाल सिंह के बेटे ने बीती 24 मार्च को दिल्ली में एक लड़की से शादी कर ली। लड़की सोनीपत के शिवा गांव की रहने वाली थी और दोनों ने लव मैरिज की थी। शादी के बाद दोनों अपने गांव में पूजा -अर्चना के लिए आए तो विवाद खड़ा हो गया। ढलाना गांव में कादियान गोत्र के लोग ज्यादा रहते हैं। रविंद्र की शादी जिस लड़की से हुई है उसका गोत्र भी कादियान है। बस यही है पूरे फसाद की जड़। ढ़लाना गांव के लोग नहीं चाहते कि कादियान गोत्र की कोई लड़की उनके गांव में बहू बनकर आए क्योंकि उनके लिहाज से वो गांव की बहू नहीं, बेटी है। पंचायत ने एक मजबूर बाप को धमकी दी कि वो अपने बेटे-बहू को भाई-बहन मान ले या फिर 3 दिन में अपनी जमीन-जायदाद बेचकर यहां से चला जाए। अगर वो नहीं जाएगा तो होने वाले लड़ाई-झगड़े की जिम्मेदारी उसकी ही होगी। जो भी रिसाल सिंह के परिवार का सहयोग करेगा उसका जाति बहिष्कार किया जाएगा और जुर्माना भी किया जा सकता है।

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