पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, July 21, 2009

उच्च न्यायालय ने संजीव नंदा की सजा घटाई।


दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को लगभग दस साल पुराने बीएमडब्ल्यू हिट एंड रन मामले में पूर्व नेवी चीफ एडमिरल एसएम नंदा के पोते व आ‌र्म्स डीलर सुरेश नंदा के बेटे संजीव नंदा की सजा घटाकर दो साल कर दी। हाईकोर्ट ने उसे लापरवाही से मौैत के मामले का दोषी माना। इससे पहले निचली अदालत ने नंदा को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी। खचाखच भरी अदालत में जस्टिस कैलाश गंभीर ने कहा कि संजीव नंदा पर गैर इरादतन हत्या का मामला नहीं बनता है। वहीं इस मामले में सबूत मिटाने के आरोप में दोषी करार दिए गए राजीव गुप्ता की सजा भी अदालत ने एक साल से घटाकर छह महीने कर दी। गुप्ता के दोनों नौकरों भोलानाथ व श्याम सिंह की सजा को छह-छह माह से घटाकर तीन-तीन माह कर दिया गया। 

हाईकोर्ट ने इस मामले में अपने आपको चश्मदीद गवाह बताने वाले सुनील कुलकर्णी के बयान को झूठा करार दिया है। अदालत ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वह सुनील कुलकर्णी के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत कार्यवाही करने के लिए शिकायत करे। 

संजीव के पिता सुरेश नंदा, मां रेणु नंदा व बहन सोनाली ने कोर्ट के फैसले पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी परंतु उन्हें असल में न्याय अब मिला है। सुरेश नंदा ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील नहीं करेंगे और उनका बेटा बाकी बची सजा काटेगा।

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