पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, July 22, 2009

झूठा केस बनाने पर डीएसपी को कैद।


हिसार  अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संदीप गर्ग की अदालत ने चरस तस्करी का झूठा केस दर्ज करने के जुर्म में हांसी सिटी थाना के तत्कालीन एसएचओ देशबंधु को तीन महीने की कैद और 500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने पर उन्हें सात दिन की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। मौजूदा समय में देशबंधु मधुबन में डीएसपी के पद पर तैनात हैं। अदालत ने अपील के लिए उन्हें जमानत दे दी है।
हांसी की रामनगर कॉलोनी के रामअवतार ने 13 जून 2001 को देशबंधु पर केस दर्ज कराया था। आरोप था कि पुलिस ने रामनगर कॉलोनी के पदमचंद को सट्टा खाईवाली के आरोप में गिरफ्तार किया था। तलाशी में नशीला पदार्थ नहीं मिला था। मगर पुलिस ने पदमचंद से 500 ग्राम अफीम, बेटे रामअवतार से 300 ग्राम चरस व दूसरे बेटे पंकज से 250 ग्राम अफीम की बरामदगी दिखलाकर एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कर इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया था। इसपर रामअवतार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केस को खारिज करने व एसएचओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हाईकोर्ट ने क्राइम ब्रांच को दो माह में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा। क्राइम ब्रांच ने 23 अगस्त 2004 को रिपोर्ट पेश किया जिसमें इस केस को झूठा बताया गया। इस पर पंकज व रामअवतार ने हिसार की अदालत में देशबंधु के खिलाफ अलग-अलग मामला दर्ज कराया।

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