पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, July 20, 2009

राजस्थान लोकसेवा आयोग की गलती की सजा सैकड़ों छात्रों को ।

राजस्थान लोकसेवा आयोग की गलती की सजा प्रदेश व मेवाड़ के सैकड़ों छात्रों को भुगतना पड़ रही है। आरपीएससी के कोड से संबंधित गलत सूचना से आवेदन में गलती के कारण सैकड़ों छात्र परीक्षा से वंचित हैं।

आयोग द्वारा 22 जुलाई को ली जाने वाली थर्ड ग्रेड टीचर्स (सामान्य व संस्कृत) भर्ती परीक्षा के संदर्भ में 20 जून को प्रकाशित विज्ञापन में सामान्य शिक्षक के लिए कोड नंबर 22 लिखने के निर्देश दिए थे। 

बाद में आरपीएससी ने 2 सितंबर को एक और विज्ञापन जारी कर बीएड धारी अभ्यर्थियों को कोड नंबर 25 लिखने की बात कही थी। 20 जून से 2 सितंबर के प्रदेश के हजारों छात्र आवेदन कर चुके थे। इनमें मेवाड़ के भी सैकड़ों बीएड धारी थे। ऐसे छात्रों के कोड नंबर गलत मानते हुए आरपीएससी ने उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया। 

प्रशिक्षित बेरोजगार संघ, झाड़ोल के अध्यक्ष सतीश जोशी व सचिव घनश्याम जोशी ने बताया कि आरपीएससी की गलती की सजा सैकड़ों छात्रों को भुगतनी पड़ेगी। आरपीएससी को तत्काल इन छात्रों को परीक्षा में शामिल करने का निर्णय लेना चाहिए। संघ ने इस संबंध में एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भी प्रेषित किया है। 

कोर्ट ने दिया परीक्षा में शामिल करने का आदेश : आरपीएससी के गलत विज्ञापन को चुनौती देते हुए एक अभ्यर्थी हाईकोर्ट जा चुका है तथा कोर्ट ने आरपीएससी की गलती मानते हुए उसे परीक्षा में शामिल करने के आदेश जारी कर दिए। प्रशिक्षित बेरोजगार शिक्षक संघ का कहना है कि मेवाड़ में ज्यादातर छात्र आदिवासी गरीब है जो न्यायालय की शरण में जाने में अक्षम है। आरपीएससी इन छात्रों के पक्ष में विचार करना चाहिए।

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