पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, July 31, 2009

पूर्व राजमाता गायत्री देवी पंचतत्व में विलीन

राजशाही और लोकशाही की प्रतीक रही अपने युग की सुंदरतम विश्व महिलाओं में शामिल राजमाता गायत्री देवी को आज शाम यहां राजकीय सम्मान से अंतिम विदाई दी गयी.
रामगढ़ मोड़ पर पूर्व जयपुर रियासत के परंपरागत श्मशान स्थल महारानियों की छतरी में पोलो के विश्व प्रसिद्व खिलाड़ी स्व महाराजा सवाई मानसिंह (द्वितीय) की रानी मरुधर कंवर एवं किशोर कंवर की छतरी के पास उनकी प्रिय महारानी गायत्री देवी का अंतिम संस्कार किया गया. महाराजा मानसिंह के पुत्र ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने शाम 5.40 बजे मुखाग्नि की रस्म अदा की.
इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल एसके सिंह, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत, सांसद महेश जोशी, अलवर के सांसद भंवर जितेंद्र सिंह, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद, विधायक एवं जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह, जयपुर के महापौर पंकज जोशी सहित अन्य लोग मौजूद थे. सबने अंतिम संस्कार से पूर्व गायत्री देवी के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किये.पुलिस की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया और शस्त्र उलटे किये बिगुल वादक ने मातमी धुन बजायी व जवानों ने हवा में गोलियां दागीं. इससे पहले आज तीसरे प्रहर सिटी पैलेस की जनानी डय़ोढी से निकली राजमाता गायत्री देवी की शव यात्रा में जयपुरवासी उमड़ पड़े. हाथी और घोडों के परंपरागत लवाज में व बैंड बाजे के साथ तिरंगे में लिपटा हुआ उनका पार्थिव शरीर सेना के सुसज्जित ट्रक में रखा गया था.

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