पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, August 5, 2009

रैगिंग के आरोपी छात्रों की याचिका खारिज।


चंडीगढ़ यूआईईटी में रैंगिग के आरोपी दो छात्र सौरभ और रूपेश द्वारा स्थानीय अदालत में दायर जमानत याचिका रद्द कर दी गई है। इन दोनों दात्रों ने सोमवार को जेएमआईसी महेश कुमार की कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। अदालत ने जमानत याचिका रद्द करते हुए कहा कि रैगिंग, स्कूल कॉलेज में पढ़ाई के लिए आने वाले स्टूडेंट्स के लिए घातक है। 

रैंगिंग से जहां स्टूडेंट के भविष्य पर असर पड़ता है वहीं समाज में भी गलत मैसेज जाता है। अदालत ने यह भी कहा कि रैगिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की भी गाइडलाइन है कि रैंगिंग करने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आया जाए। बचाव पक्ष ने अपनी दलील में कहा कि दोनों स्टूडेंट्स का रैगिंग का झूठा आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता ने भी रैगिंग की पुष्टि नहीं की है। इस पर अदालत ने कहा कि अगर शिकायतकर्ता ने इसकी पुष्टि नहीं की है तो उसे कोर्ट में हाजिर होना चाहिए था, किंतु शिकायतकर्ता कोर्ट में सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं था।

अदालत में रैगिंग के इन आरोपियों के खिलाफ आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो इन्हें पीयू से हमेशा के लिए निकाला जा सकता है। इससे पहले सोमवार को रै¨गग के आरोपी छात्रों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। इन छात्रों ने इसी दिन जमानत याचिका दायर की थी। गौरतलब है कि शुक्रवार रात यूआईईटी के हॉस्टल के बाहर बनी अंडरग्राउंड पार्किग की सीढ़ियों पर सीनियर स्टूडेंट्स अपने जूनियर अनिरुद्ध को खड़ा करके सवाल पूछ रहे थे। तभी वहां से इंडियन थियेटर डिपार्टमेंट के कुछ स्टूडेंट्स निकले। इन्होंने अनिरुद्ध को वहां से जाने को कहा। सीनियर्स ने इसका विरोध जताया। लेकिन कुछ ही देर बाद सभी मौके से चले गए। किसी ने इसकी सूचना हॉस्टल के वार्डन डॉ. जेके गोस्वामी को दी तो वह भी हॉस्टल पहुंच गए। इसके अगले दिन ही पीयू ने यूआईईटी के फस्र्ट ईयर के स्टूडेंट् अनिरुद्ध की रैगिंग करने पर थर्ड ईयर के स्टूडेंट सौरभ नंदेल को यूनिवर्सिटी से सस्पेंड कर दिया। पीयू ने सौरभ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। सौरभ ने पुलिस जांच में अपने एक अन्य साथी रूपेश का भी नाम लिया था जिस पर पुलिस ने उसे रविवार को गिरफ्तार कर लिया था।

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