पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, October 19, 2009

डू-नाट काल के स्थान पर डू-काल रजिस्ट्री, जब चाहेंगे तभी आएंगे विज्ञापन वाले काल।


दूरसंचार नियामक ट्राई डू-काल रजिस्ट्री पर उद्योग के विचार मांगने जा रहा है। डू-काल रजिस्ट्री के तहत टेलीमार्केटिंग कंपनियां सिर्फ उनके उपभोक्ताओं को काल कर सकेंगी, जिनका इस योजना के तहत पंजीकरण हुआ होगा। इस बारे में दूरसंचार नियामक इसी सप्ताह परामर्श पत्र जारी करेगा।

ट्राई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नेशनल डू-नाट काल (एनडीएनसी) रजिस्ट्री ज्यादा सफल नहीं हो पाई है। इसी की वजह से अब डू काल रजिस्ट्री (डीसीआर) के विकल्प पर विचार किया जा रहा है।एनडीएनसी को अक्टूबर, 2007 में शुरू किया गया था। कुल 44.8 करोड़ मोबाइल धारकों में से मात्र दो करोड़ मोबाइल धारकों ने एनडीएनसी के तहत पंजीकरण कराया है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से डू-काल रजिस्ट्री का विकल्प तलाशने को कहा था। डू-काल रजिस्ट्री के लागू होने के बाद टेलीमार्केटिंग कंपनियां सिर्फ पंजीकत ग्राहकों को ही काल कर सकेंगी। पंजीकृत मोबाइल धारकों के अलावा अन्य लोगों को काल गैरकानूनी होगी।

उद्योग क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की अवांछित काल्स पर रोक लगाने के लिए डीसीआर ज्यादा प्रभावी होगी। इससे पूर्व दूरसंचार विभाग ने यह मामला ट्राई के पास भेज दिया था। इस तरह की काफी शिकायतें आ रही हैं कि एक व्यवस्था के होने के बावजूद अवांछित काल्स पर रोक नहीं लग पाई है।

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