पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, October 22, 2009

‘दागी’ जज न बन पाएं इस हेतु जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव की तैयारी


विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि कोई दागी व्यक्ति जज की कुर्सी पर बैठ सके, इसलिए वह ऊपरी अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के तरीके पर पुनर्विचार कर सकती है। मोइली ने कहा कि ऊपरी अदालतों में भ्रष्टाचार की शिकायतों से निपटने के लिए सरकार 19 नवम्बर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश कर सकती है।

साथ ही, उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी.डी. दिनकरण को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नति पर रोक लगाने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

मोइली ने कहा कि बिना जवाबदेही के न्यायपालिका की स्वतंत्रता का कोई मतलब और महत्व नहीं है। न्यायाधीश जांच विधेयक, 1968 सिर्फ न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया को लेकर है और उसमें और कुछ नहीं है। हम सोच रहे हैं कि इसकी जगह एक व्यापक न्यायाधीश मानक एवं जवाबदेही विधेयक लाया जाना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि यह संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा।

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