पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, October 24, 2009

अब अत्याचारी गुरुजी की खैर नहीं।


स्कूलों में शिक्षकों के अत्याचार से छात्रों को बचाने के लिए अब शिकायत बॉक्स लगाए जाएंगे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के फरमान पर अमल करते हुए दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों को आदेश दिया है कि वह अपने यहां शिकायत बॉक्स लगाएं, जिनकी मदद से छात्र अपनी शिकायत बिना किसी डर के कर सकें। शिक्षा निदेशालय ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि इस सुविधा के तहत छात्र को अपनी पहचान सार्वजनिक करने की कोई जरूरत नहीं होगी यानी अब अत्याचारी गुरुजी की खैर नहीं है।

शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी आदेश में स्कूल प्रमुखों को कहा गया है कि वह अपने यहां छात्रों को शिक्षकों द्वारा दिए जाने वाले दंड पर अंकुश लगाएं। इसके लिए न सिर्फ स्कूलों में नियमित तौर पर अभिभावकों के साथ बैठकर छात्र अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने की बात की जाए बल्कि छात्रों को भी उनके अधिकारों से अवगत कराया जाए।

इसके अलावा पीटीए सदस्यों, उपशिक्षा अधिकारी, शिक्षा अधिकारी, उपशिक्षा निदेशक के नाम व नंबर भी स्कूल के नोटिस बोर्ड पर सार्वजानिक किए जाएं ताकि शिकायत की प्रक्रिया और उसकी सुनवाई आसान हो सके। अतिरिक्त शिक्षा निदेशक (स्कूल) डॉ. सुनीता कौशिक के मुताबिक स्कूलों में शिक्षकों के अत्याचार से छात्रों को बचाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिनके तहत स्कूलों में छात्रों के प्रति होने वाली हिंसा से निपटने के उपाय स्पष्ट किए गए हैं। इन गाइडलाइन के तहत अव्वल तो शिक्षकों की शिकायत करने के लिए सुबह होने वाली प्रार्थना सभा में छात्रों को खुले तौर पर शिकायत का मौका दिया गया है।

ऐसा न करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए पहचान गुप्त रखते हुए शिकायत करने के लिए बॉक्स का इंतजाम किया जा रहा है। डॉ. सुनीता कौशिक के अनुसार स्कूल प्रमुखों को कहा गया है कि वे अपनी बैठकों में शिक्षकों को इस बात से अवगत कराएं कि छात्रों के साथ गलत व्यवहार का क्या परिणाम हो सकता है।

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