पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, October 22, 2009

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश की अनदेखी पर न्यायिक मजिस्ट्रेट को व्यक्तिश: हाजिर होने का आदेश दिया।


राजस्थान उच्च न्यायालय ने आदेश की अनदेखी की शिकायत पर जयपुर शहर में कार्यरत न्यायिक मजिस्ट्रेट सरिता स्वामी को व्यक्तिश: हाजिर होने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला व न्यायाधीश मनीष भण्डारी की खण्डपीठ ने रूप्पल खुल्लर की अवमानना याचिका पर बुधवार को यह अंतरिम आदेश दिया।


प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता अजय कुमार जैन ने न्यायालय को बताया कि उच्च न्यायालय ने 27 जुलाई 09 को ट्रायल कोर्ट को उसके यहां लम्बित इस प्रकरण से सम्बन्धित भरण पोषण मामले में दो माह में फैसला करने का आदेश दिया, ट्रायल कोर्ट को उच्च  न्यायालय के आदेश की जानकारी भी दे दी, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने 24 सितम्बर को सुनवाई 24 अक्टूबर तक टाल दी।

अवमानना याचिका में यह भी बताया कि प्रार्थीपक्ष ने ट्रायल कोर्ट में सुनवाई लम्बी टालने पर आपत्ति की तो उसे यह कहकर अनदेखा कर दिया कि इस अवधि में कार्य दिवस कम हैं और कार्य अधिक है। साथ ही, ट्रायल कोर्ट ने यह कहा कि प्रार्थीपक्ष के अधिवक्ता को आपत्ति है तो मामला किसी अन्य न्यायालय में स्थानान्तरित करवा सकते हैं।

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