पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, November 16, 2009

छात्र की कराई निर्वस्त्र परेड, देना होगा एक लाख का मुआवज


अपने सेवा काल के दौरान एक छात्र को निर्वस्त्र कर परेड कराना 65 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक पी सी गुप्ता को काफी महंगा पड़ा है। गुप्ता को 12 वर्ष पूर्व की अपनी इस करतूत के लिए अब पीड़ित छात्र को एक लाख रुपये का मुआवजा देना होगा।

दिल्ली की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रतिभा रानी ने गुप्ता को मुआवजा देने का निर्देश दिया। हालांकि अदालत ने इस मामले में जेल की सजा काट रहे सेवानिवृत्त शिक्षक को अच्छे व्यवहार की शर्त पर दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि पर रिहा करने का निर्देश दिया। गुप्ता को इस मामले में निचली अदालत 19 मार्च, 2007 को ही सजा सुना चुकी है। गुप्ता को एक वर्ष कैद और ढाई हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई थी। न्यायाधीश रानी ने सेवानिवृत्त शिक्षक गुप्ता की उस अपील को मंजूर कर लिया, जिसमें कैद व जुर्माने की सजा को चुनौती दी गई है।

मामला 25 मई, 1997 का है। गुप्ता दिल्ली के एक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक थे। उस दिन उन्होंने अपनी कक्षा के एक तेरह वर्षीय छात्र को स्कूल के तालाब में नहाते हुए पकड़ा था। क्लास छोड़कर छात्र द्वारा तालाब में नहाने की घटना से गुप्ता इतने गुस्से में आ गए कि उन्होंने पहले तो छात्र की जमकर पिटाई की। इसके बाद उसे घंटों तक कपड़ा नहीं पहनने दिया। पूरे दिन उक्त छात्र को स्कूल में निर्वस्त्र खड़े रखा था।

जज रानी ने कहा कि अब तो गुप्ता सर्विस में भी नहीं है, इसलिए उनके द्वारा इस तरह के अपराध दोबारा करने की संभावना नहीं है। इस कारण उन्हें परिवीक्षा पर रिहा करने का आदेश दे रही हूं। अदालत का कहना था कि ऐसा कोई कारण नहीं दिख रहा है, जिससे परिवीक्षा अवधि पर गुप्ता की रिहाई रोकी जा सके। हालांकि जज रानी ने गुप्ता की हरकत की कड़े शब्दों में निंदा की। पीड़ित छात्र के वकील ने गुप्ता को परिवीक्षा पर रिहा करने का विरोध किया। लेकिन अदालत ने उनकी दलील नहीं मानी।

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