पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, November 12, 2009

वकीलों ने आईपीएस पुलिस अधिकारी को धुना


सुप्रीम कोर्ट परसिर में वकीलों और उनके मुंशियों ने बुधवार को एक आईपीएस पुलिस अधिकारी की पिटाई कर दी। यह पुलिस अधिकारी महाराष्ट्र का है और दिल्ली में विशेष ट्रेनिंग पर आया हुआ है। लगभग एक घंटे के बवाल के बाद मामला तब शांत हुआ जब डीसीपी ने माफी मांगी।

मामला तब शुरू हुआ जब आईपीएस अधिकारी संजय येलपुले सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश के लिए पास बनवाने के वास्ते लाइन में खड़े वकील के एक मुंशी से भिड़ गया। मुंशी लाइन तोड़कर आगे लग रहा था। डीसीपी स्तर के अधिकारी ने मुंशी को लाइन न तोड़ने को कहा लेकिन वह नहीं माना। इस पर उन्होंने उसे डपटा तो वह भी गुस्सा हो गया। इस पर संजय ने कहा कि जानते नहीं हो वह आईपीएस डीसीपी है और उसे उल्टा लटकवा देगा। यह कहकर उन्होंने मंशी के दो झापड़ रसीद कर दिए और पास खड़े सिपाही से कहा कि जरा उसे ‘समझाएं’। इसके बाद वह पास बनवा कर अंदर चले गए। मुंशी ने अन्य मुंशियों को बुलाया और डीसीपी का सुप्रीम कोर्ट के अंदर पीछा किया। डीसीपी किसी तरह जान बचाकर भाग रहा था कि उसी समय एक वकील ने उसे थप्पड़ जड़ दिया।

आखिरकार संजय भाग कर सुप्रीम कोर्ट सुरक्षा कार्यालय में पहुंचा। 50 से ज्यादा मुंशी वहां भी पहुंच गए और नारे लगाने लगे। सुप्रीम कोर्ट मुंशी एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मांग की मुंशी पर हमला करने के आरोप में डीसीपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। पुलिस के समझाने बुझाने पर मुंशी माफनामे पर मान गए। डीसीपी संजय ने उनसे लिखित रूप में बिना शर्त मांगी लेकिन मुंशी नहीं माने और कहा कि वह बाहर आकर सबके सामने माफी मांगें। संजय ने यही किया और तब जाकर मामला शांत हुआ।

1 टिप्पणियाँ:

दिनेशराय द्विवेदी said...

ये हाथापाई की घटनाएँ अदालत परिसर और उस के आस पास क्यों? क्यों कि अदालतें नहीं है, मुकदमों के निर्णय में बरसों नहीं युग लगते हैं। न्याय नहीं है। न्याय को लागू करने की मशीनरी नहीं है और सरकार में इस के लिए इच्छा भी नहीं है।