पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, November 29, 2009

हाईटेक होगा दिल्ली हाईकोर्ट


दिल्ली हाईकोर्ट हाईटेक होने वाला है। 8 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट देश का पहला ऐसा कोर्ट बन जाएगा, जहां कागज रहित [पेपरलेस] काम होता दिखेगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जस्टिस रविंद्र भट्ट की अदालत देश की पहली ई-कोर्ट का रुतबा हासिल करेगी।

तीन चरणों में हाईकोर्ट के जज और वकील समेत बाबू-सहायक भी हाईटेक हो जाएंगे। ई-कोर्ट के साथ ई-फाइलिंग प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। यहां तक कि आने वाले दिनों में देश-दुनिया में कहीं से भी कोर्ट की कार्यवाही को घर बैठे देख पाना भी मुमकिन हो जाएगा।

गुरुवार को हाईकोर्ट कंप्यूटर कमेटी के अगुवा जस्टिस बदर दुरेज अहमद ने खुलासा किया कि दिसंबर से पेपरलेस ई-कोर्ट की कार्यवाही शुरू होगी। यह पहला चरण होगा, जज के सामने मेज पर बड़े कंप्यूटर मानीटर पर सूचनाओं को टच-स्क्रीन के जरिए देखा सुना जाएगा। केस नंबर या नाम को स्क्रीन पर छूते ही पूरी फाइल खुल जाएगी। ऐसे में कागज की मोटी फाइल के पन्नों को बार-बार पलटने से छुटकारा मिलेगा। कोर्टरूम में बैठे लोगों को बड़े स्क्रीन पर सब दिखेगा। वकील अपने लैपटाप के जरिए केस पर लिखित दलील के साथ बहस कर सकेंगे। हालांकि कंप्यूटर का प्रयोग वकीलों की मर्जी पर निर्भर करेगा।

न्यायमूर्ति अहमद ने बताया कि दूसरे चरण में ई-फाइलिंग प्रक्रिया होगी। कोई भी कहीं से बैठकर ई-मेल के जरिए केस फाइल कर सकेगा। जरूरी यह होगा कि शिकायतकर्ता केस फाइल में दर्ज दस्तावेजों को स्वयं सत्यापित करे या ओथ कमिश्नर के सामने सत्यापित कराए। जस्टिस अहमद ने बताया कि ई-फाइलिंग के लिए शपथपत्र, वकालतनामा और कागजी दस्तावेजों पर स्वयं उपस्थित होकर हस्ताक्षर करने की जरूरत पड़ेगी। कोर्ट फीस या प्रोसेस फीस के लिए आन लाइन भुगतान करना होगा। इसके लिए दिल्ली सरकार को ई-स्टैंप, आन लाइन स्क्रूटनी और सत्यापन का प्रावधान करना होगा, जिससे ई-केस फाइल हो सके। इसमें एक-दो साल लगेगा। तब तक कागजी प्रक्रिया के साथ ई-फाइलिंग में सीडी, डीवीडी या पीडीएफ में फाइलिंग संभव हुआ करेगी।

जस्टिस बदर दुरेज अहमद ने बताया है कि हाईकोर्ट परिसर में विभिन्न जगहों पर दिखने वाला फाइलों का अंबार ठिकाने लगाया जा रहा है। पिछले कुछ समय में केस फाइलों से जुड़े पांच करोड़ 56 लाख पन्नों को कंप्यूटर की मदद से डिजिटलाइज किया जा चुका है। एक लाख पन्ना प्रतिदिन डिजिटल हो रहे हैं। अगले दो वर्षो में लगभग सारे काम कंप्यूटर पर हुआ करेंगे और कागज के रिकार्ड को सहेजने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।

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