पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, November 20, 2009

नाबालिग के विवाह करने पर उसे परीक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता।


16 साल की उम्र में शादी करने वाले एक छात्र को हाईकोर्ट ने पीएससी की मुख्य परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आरके गुप्ता की युगलपीठ ने छात्र की याचिका पर पीएससी के अध्यक्ष और उप नियंत्रक (परीक्षा) को नोटिस जारी करते हुए उसकी परीक्षा के परिणाम को इस मामले पर होने वाले फैसले के अधीन रखा है।

सिंगरौली के बैढ़न थानान्तर्गत ग्राम गुढ़ीताल में रहने वाले रामगोपाल शाह की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि 16 साल की उम्र में उसकी शादी 22 मई 1990 को हुई थी। उसने पीएससी की परीक्षा दी, जिसकी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसे मुख्य परीक्षा में शामिल होना था।

विगत 26 अक्टूबर को उप नियंत्रक ने एक आदेश जारी करके आवेदक की उम्मीदवारी को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि उसने नाबालिग उम्र में शादी की है।

आवेदक का कहना है कि जिस नियम के तहत उसकी उम्मीदवारी को निरस्त किया जा रहा, वह मार्च 2000 में अमल में आया, जबकि उसकी शादी वर्ष 1990 में हुई थी। ऐसे में उक्त प्रावधान को भूतलक्षी प्रभाव से नहीं माना जा सकता।


याचिका पर आज हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से अधिवक्ता राजेश दुबे द्वारा अपना पक्ष रखा गया। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अंतरिम राहत देते हुए मामले की अगली सुनवाई 30 नवम्बर को निर्धारित की है।

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