पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, December 12, 2009

पंचायतों में आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा न हो-राजस्थान हाईकोर्ट


राजस्थान हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव के लिए समानान्तर (क्षितिज) आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय करते हुए राज्य सरकार, झुंझुनूं कलक्टर व जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है। साथ ही, कहा कि पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण प्रक्रिया भले ही जारी रहे, लेकिन उसे अदालत की मंजूरी बिना अंतिम रूप नहीं दिया जाए।  न्यायाधीश आर.सी. गांधी व महेश भगवती की खण्डपीठ ने झुंझुनूं जिले के सीताराम शर्मा की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष की ओर से न्यायालय को बताया गया कि सरकार ने पंचायत राज कानून में संशोधन कर महिला आरक्षण 33 से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है और 21 से 35 वर्ष तक के युवाओं को भी सीट आरक्षित की हैं। झुंझुनूं जिला परिषद व कुछ पंचायत समितियों का हवाला देकर बताया कि इस बढ़ोतरी से कुल आरक्षण 77.14 फीसदी से अधिक हो गया है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय कर चुका है। आरक्षण में इस बढ़ोतरी का कोई तार्किक कारण भी नहीं बताया गया है। इस आरक्षण के बाद अधिकारी- कर्मचारी जनता पर हावी हो जाएंगे।
आरक्षण बढ़ोतरी के लिए संशोधन को असंवैधानिक करार दिया जाए। पंचायतों में जाति, लिंग व आयु के आधार पर कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक करने व महिलाओं को श्रेणीवार 50 फीसदी आरक्षण पर पाबंदी लगाई जाए, याचिका पर निर्णय होने तक पंचायत चुनाव में नए पंचायत राज कानून पर अमल नहीं किया जाए।
शहरी निकाय आरक्षण के मामले से सम्बंघित 17 सितम्बर 09 का अंतरिम आदेश इस मामले में भी लागू किया जाए। राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव, पंचायत राज सचिव, झुंझुनूं कलक्टर व झुंझुनूं जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चार सप्ताह में जवाब दें।


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