पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, December 15, 2009

नकली दूध-मावा बनाने वाले दो लोगों को उम्रकैद।


एडीजे कोर्ट संख्या 21 बुलंदशहर  न्यायालय ने यूरिया मिलाकर दूध और मावा बनाने वाले दो लोगों को आजीवन कारावास व 50-50 हजार का अर्थदंड दिया है।

अपर जिला शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह अंबा के अनुसार एसओ गुलावठी आदिल रसीद ने 20 फरवरी 2008 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि रात्रि गश्त के दौरान उन्होंने सूचना पर ओमी कुम्हार के घेर में छापा मारकर मौके से ओमप्रकाश व किशोर कुमार को पकड़ लिया था। इनके पास से भारी मात्रा व यूरिया और नकली दूध-मावा बनाने में प्रयुक्त किया जा रहा कच्चा माल बरामद हुआ था। चार कुंतल नकली दूध और मावा भी बरामद हुआ। पुलिस ने दोनों आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 272 व 273 के अभियोग दर्ज किया।  एडीजे कोर्ट संख्या 21 महेश नौटियाल ने सुनवाई में आरोपों को सही पाया। न्यायाधीश ने ओमी उर्फ ओमप्रकाश और किशोर कुमार को कठोर आजीवन कारावास और पचास-पचास हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

नकली दूध-मावा बनाने के आरोपियों को सजा तत्कालीन एसओ आदिल रसीद द्वारा की गई कार्रवाई के कारण ही संभव हो सकी। आदिल रसीद ने अभियोग को खाद्य अपमिश्रण की धाराओं में दर्ज करने की बजाय आईपीसी की धाराओं में दर्ज किया था। यदि मामला खाद्य अपमिश्रण की धाराओं में दर्ज किया गया होता तो आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता। इसके साथ ही उनको नमूनों का कोड बताया जाता। इसके अलावा खाद्य अपमिश्रण मामले में अभियोग की पैरवी शासकीय अधिवक्ता के स्थान पर खाद्य निरीक्षक करते। ऐसे में सजा मिलने की संभावना काफी कम हो जाती हैं।

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