पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, December 29, 2009

रुचिका को बाहर करने वाले स्कूल के खिलाफ जनहित याचिका ।


चंडीगढ़ के जिस स्कूल में रुचिका पढ़ती थी, उसके खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की जाएगी। सेक्रेड हर्ट नामक इस स्कूल में रुचिका नर्सरी से ही पढ़ रही थी। लेकिन छेड़छाड़ कांड के बाद उसे बिना कुछ बताए ही निकाल दिया गया था। स्कूल प्रशासन ने यह कदम पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर के दबाव के कारण उठाया था। हालांकि बाद में स्कूल की तरफ से यह सफाई दी गई थी कि रुचिका की फीस जमा नहीं हुई थी। लेकिन रुचिका के परिवार वालों ने इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया था।
भाई पर 11 मामले दर्ज होना पिता के खिलाफ थाने में डकैती की शिकायत और फिर स्कूल से निकाला जाना रुचिका को शर्मसार करने के लिए काफी रहा। इन्हीं परिस्थितियों में रुचिका ने आत्महत्या की। परिस्थितियों को यहां से भांप सकते हैं कि रुचिका के आत्महत्या करने के समय उसका भाई आशु पुलिस हिरासत में था। उसे अपनी बहन के अंतिम संस्कार में शामिल भी नहीं होने दिया गया। संस्कार के समय उसे बेसुध हालत में गली में फेंक दिया गया। पिता के खिलाफ भी पंचकूला के सेक्टर -पांच पुलिस थाने में डकैती की शिकायत दी गई। पुलिस ने डीडीआर तो की लेकिन एसएचओ ने इसे एफआईआर में तबदील नहीं किया। इन सभी घटनाओं का जिक्र करते हुए स्वयं सेवी संस्था वल्र्ड हयूमन राइट्स प्रोटेक्शन काउंसिल के चेयरमैन वकील रंजन लखनपाल पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में मंगलवार को जनहित याचिका दायर कर रहे हैं। रुचिका ने 29 दिसंबर 1993 को खुदकुशी की थी। याचिका में हरियाणा सरकार के गृह विभाग, डीजीपी, एसपीएस राठौर, सीबीआई व सेक्रेड हार्ट स्कूल के प्रिंसीपल को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में घटना के पहले दिन से फैसला आने तक के समय पर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गई है।

याचिका में रुचिका के चंडीगढ़ सेक्टर-26 स्थित सेक्रेड हार्ट स्कूल को भी प्रतिवादी बनाया है। याचिका में कहा गया कि रुचिका कक्षा में सारा दिन रोती रहती थी। रुचिका को सहारा देने अथवा काउंसलिंग करने की जगह उसे स्कूल से ही निकाल दिया गया। आरोप है कि ऐसा रुचिका से छेड़छाड़ के दोषी पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर की बेटी को राहत पहुंचाने के लिए किया गया। राठौर की बेटी भी उसी स्कूल में पढ़ती थी। याचिका में कहा गया कि स्कूल का यह रवैया असहनीय है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भी उचित कार्रवाई की जाए।

याचिका में सीबीआई की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा गया कि सीबीआई की तरफ से राठौर पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) लगाए जाने की कोशिश नहीं की गई। उल्टे इस मामले में आईपीसी का धारा 305 (नाबालिग को आत्महत्या के लिए उकसाने) लगाई जानी चाहिए। इस धारा के तहत 10 वर्ष के कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। याचिका में इस मामले का उदाहरण देते हुए मांग की गई कि जहां आरोपी समाज में किसी प्रभावशाली पद पर है, उन मामलों की सुनवाई पर दिशा निर्देश दिए जाएं। हाईकोर्ट में इस समय अवकाशकालीन बेंच कार्यरत है। उम्मीद की जा रही है कि हाईकोर्ट के नियमित कामकाज के पहले दिन छह जनवरी को इस मामले पर सुनवाई होगी।


शिक्षा सचिव रामनिवास ने मधु प्रकाश की शिकायत पर रुचिका मामले में सेक्रेड हार्ट स्कूल सेक्टर 26 के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच का जिम्मा एसडीएम (साउथ) प्रेरणा पुरी को सौंपा गया है। शिकायत के अनुसार रुचिका ने 25 अगस्त 1990 तक क्लास अटेंड की, लेकिन स्कूल फीस को जमा न कराने के कारण उसे स्कूल से निकाल दिया गया। अब जांच में यह सामने लाया जाएगा कि रुचिका ने फीस जमा करवाई थी या नहीं? क्या स्कूल प्रशासन ने रुचिका को कोई नोटिस भेजा था या फाइन किया था?

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