पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, January 5, 2010

राजस्थान में 45 ग्राम न्यायालय गठित


राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर पीसांगन (अजमेर), तिजारा एवं नैनवां (अलवर), बाड़मेर, अटरू (बारां), बासंवाड़ा एवं गढ़ी (बांसवाड़ा), रूपावास एवं कामां (भरतपुर), माण्डल एवं सुवाना (भीलवाड़ा), बीकानेर एवं कोलायत (बीकानेर), तालेड़ा (बूंदी), चित्तौड़गढ़ एवं भदेसर (चित्तौड़गढ़), राजगढ़ (चूरू), दौसा, बसेड़ी (धौलपुर), आसपुर एवं बिच्छीवाड़ा (डूंगरपुर), श्रीगंगानगर एवं अनूपगढ़ (श्रीगंगानगर), हनुमानगढ़, सांभर एवं बस्सी (जयपुर), सांचौर (जालौर), सांकड़ा (जैसलमेर), झालरापाटन (झालावाड़), नवलगढ़ (झुंझुनू), मंडोर एवं ओसियां (जोधपुर), हिण्डौन (करौली), खैराबाद एवं इटावा (कोटा), जायल (मेड़ता), रायपुर (पाली), प्रतापगढ़, रेलमगरा (राजसमन्द), गंगापुर सिटी (सवाई माधोपुर), पिपरली (सीकर), पिण्डवाड़ा (सिरोही), देवली (टोंक), उदयपुर एवं खैरवाड़ा (उदयपुर) में कुल 45 ग्राम न्यायालय गठित किए गए हैं। इनकी बैठक पंचायत समिति मुख्यालय में होगी।

जिला परिषद के किसी भी पंचायत समिति मुख्यालय को उच्च न्यायालय किसी ग्राम न्यायालय के लिए अतिरिक्त बैठक का स्थान अधिसूचित कर सकेगा और तब उस ग्राम न्यायालय को उस पंचायत समिति का भी क्षेत्रीय अधिकार होगा।

इन न्यायालयों के प्रभाव में आने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय की अनुमति से ग्राम न्यायालय की क्षेत्राधिकारिता के वर्तमान में उनके अधीन अन्य न्यायालयों में लंबित सिविल एवं फौजदारी प्रकरणों का अंतरण ग्राम न्यायालयों में कर सकेंगे।

इन ग्राम न्यायालयों को दाण्डिक एवं दीवानी क्षेत्राधिकार दिया गया है, इन्हीं के समान प्रकरण में या उस हेतुक से उद्भुत होने वाले दाण्डिक या दीवानी प्रकरणों की सुनवाई के अधिकार से संबंधित सिविल न्यायालय (कनिष्ठ खण्ड) को वर्जित किया गया है।

इन ग्राम न्यायालयों में न्यायाधिकारी की नियुक्ति राजस्थान उच्च न्यायालय के परामर्श से राज्य सरकार करेगी। न्यायाधिकारी की नियुक्ति एवं कार्यभार संभालने की तिथि से न्यायालय प्रभाव में आ जाएंगे।

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