पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, January 11, 2010

प्री-पीजी परीक्षा वैध : राजस्थान हाईकोर्ट


राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित स्नात्तकोत्तर पूर्व परीझा प्री-पी जी परीक्षा-2010 के प्रावधानों को वैध करार दिया है। न्यायमूर्ति एमएन भंडारी ने डॉ. राजेन्द्र एवं 31 अन्य चिकित्सकों की याचिकाओं को निरस्त करते हुए आज यह आदेश दिया। मामले के अनुसार विश्वविद्यालय ने राजस्थान स्वास्थ्य केन्द्र विश्वविद्यालय की एमबीबीएस परीझा उत्तीर्ण छात्र को ही प्री पी जी परीक्षा में सम्मिलित होने के योग्य माना था।
याचिकाकर्ताओं का कथन था कि वे राजस्थान के मूल निवासी हैं तथा उन्होंने एमबीबीएस परीझा राजस्थान से बाहर के अन्य राज्यों से उत्तीर्ण की है। अत: मूल निवासी होने के नाते वे परीझाओं में बैठने की पात्रता रखते है। उनकों परीक्षा में बैठने का अवसर नहीं दिया जाना संविधान के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है।
राजस्थान विश्वविद्यालय के अधिवक्ता डॉ. वाईसी शर्मा ने तर्क दिया कि देश की शीर्ष अदालत ने डॉ. नेहा शर्मा के मामले में यह निर्णय दिया है कि विश्वविद्यालय राजस्थान से एमबीबीएस परीक्षा उत्तीर्ण विघार्थियों को प्री पीजी परीक्षा में बैठने के नियम बना सकती है। इसके तहत आध्यादेश 379 ई में संशोधन करते हुए विश्वविद्यालय में सिर्फ राजस्थान विश्वविद्यालय राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से एमबीबीएस परीझा उत्तीर्ण अभ्यार्थियों को ही प्री पीजी परीक्षा में शामिल होने का पात्र माना है। विश्वविद्यालय द्वारा श्रेष्ठ एवं दझ डॉक्टरों को प्री पीजी में प्रवेश लेने के लिए आध्यादेश 379 ई में संशोधन किया गया है। यह संशोधन पूर्णतया वैधानिक है। इनके तर्कों से सहमति जताते हुये न्यायालय ने संशोधन को पूर्णतया वैध करार दे दिया।

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