पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, January 9, 2010

राठौड़ की जमानत याचिका खारिज, कभी भी गिरफ्तारी


पंचकूला की एक स्थानीय अदालत ने रुचिका छेड़छाड़ और उसे आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दो नई प्राथमिकी दर्ज होने पर हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौड़ की अग्रिम जमानत याचिका नामंजूर कर दी है। इसके साथ ही राठौड़ के जल्द ही गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है। इससे पहले अदालत ने शुक्रवार सुबहर जमानत याचिका पर सुनवाई दोपहर बाद तक के लिए टाल दी थी।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव जिन्दल ने गुरुवार को 67 वर्षीय राठौड़ की वकील पत्नी आभा तथा रुचिका गिरहोत्रा के पारिवारिक वकील पंकज भारद्वाज, आरोपी एएसआई सेवा सिंह के वकील अजय जैन तथा सरकारी वकील के तर्क सुनने के बाद अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला शुक्रवार दोपहर बाद तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।

दो नई प्राथमिकी दर्ज होने पर राठौड़ के अतिरिक्त एएसआई सेवा सिंह ने भी अग्रिम जमानत का आग्रह किया है, जिसने रुचिका के भाई आशु से संबंधित ऑटो चोरी के मामले की जांच की थी। ये दोनों नई प्राथमिकी रुचिका के पिता सुभाष चंद्र गिरहोत्रा तथा आशु ने हत्या की कोशिश, अवैध हिरासत में रखने तथा दस्तावेज में हेरफेर करने सहित विभिन्न शिकायतों में दर्ज कराई हैं।

आभा ने 29 दिसंबर को दर्ज दो मामलों में यह कहकर जमानत मांगी है कि पांच जनवरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत दर्ज तीसरी प्राथमिकी का निपटारा उच्चतम न्यायालय में पहले ही हो चुका है।

आरोपों के अनुसार हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौड़ ने 1990 में रुचिका के साथ छेड़छाड़ की थी और फिर उसके घरवालों को परेशान किया, जिससे तंग आकर रुचिका ने आत्महत्या कर ली।

रुचिका के पिता और भाई ने गत 29 दिसंबर को पोस्टमार्टम की प्रक्रिया और आशु को झूठे मामलों में फंसाने के आरोप में राठौड़ और अन्य के खिलाफ दो शिकायतें दर्ज कराईं। शिकायत में कहा गया कि चंडीगढ़ के सेक्टर-6 पुलिस थाना ने मौत के बाद की कार्यवाही पीजीआई चंडीगढ़ में कराई, जो हरियाणा पुलिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर है, क्योंकि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है।

उल्लेखनीय है कि रुचिका ने 28 दिसंबर 1993 को जब आत्महत्या की कोशिश की तो उसे पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया था, जहां अगले दिन उसकी मौत हो गई।

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