पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, January 20, 2010

थम्स अप में छिपकली, कंपनी पर हर्जाना


जिला उपभोक्ता फोरम इंदौर ने थम्स अप में छिपकली मिलने पर कंपनी को हर्जाना भुगतान का आदेश दिया। फैसला फोरम की अध्यक्ष सरोज महेंद्र जैन, सदस्य शोभा दुबे व भारती पोरवाल की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया। वेदप्रकाश त्रिवेदी निवासी गोविंद कॉलोनी ने फोरम में परिवाद लगाकर कहा था कि उसने एमजी रोड स्थित दुकान से 24 मई 07 को थम्प अप ब्रांड के नाम से शीतलपेय खरीदा था। जैसे ही शीतलपेय की बोतल खोली उसमें छिपकलीनुमा जंतु दिखाई दिया। इससे परिवादी व उसका परिवार भयभीत हो गया।



परिवादी ने बोतल के फोटोग्राफ उतरवाए थे जो फोरम में पेश कर कहा कि यदि उसके परिजन उसका उपयोग कर लेते तो खतरनाक हादसा हो सकता था। परिवादी ने इसके लिए हिंदुस्तान कोकोकोला वेबरजेल, पीलूखेड़ी नरसिंहगढ़ (राजगढ़) एवं एव्हर बेस्ट बेकरी सेंटर को पक्षकार बनाकर 10 लाख का हर्जाना मांगा था। .



प्रकरण की सुनवाई में कंपनी की ओर से तर्क दिया गया कि विवादित बॉटल का परीक्षण कराया गया जिस पर बेच नंबर अंकित नहीं है। बॉटल का उपयोग निर्माण से छह माह की अवधि में किया जाना चाहिए था। दुकानदार की ओर से कहा गया कि उसे कंपनी की ओर से जो माल मिलता है उसका विक्रय करता है।
कंपनी ने सेवा में कमी की, दुकानदार ने नहीं



फोरम ने फैसले में लिखा कि लेबोरेटरी की रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया जा सकता। सीलबंद पेय पदार्थ में 10 से 15 मिलीमीटर का इन्सेक्ट पाया गया जो कंपनी द्वारा की गई सेवा में कमी है। इसमें दुकानदार का दोष प्रकट नहीं होता। अत: कंपनी परिवादी को मानसिक संत्रास के रूप में पांच हजार रुपए आठ प्रतिशत ब्याज सहित एवं परिवाद व्यय के एक हजार रुपए का भुगतान करे।

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