पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, January 31, 2010

अदालत ने हिंदी में सुनवाई की मांग खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल (प्रशासन) ने वकीलों के एसोसिएशन की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल को भेजे ज्ञापन पत्र में कहा, "उच्च न्यायालय में हिंदी को लेकर विचार किया जा रहा है लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया है। "

अग्रवाल ने पत्र के बारे में रविवार को कहा, "हम इसके खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे। यह हमारे आंदोलन की शुरुआत है। हमें वकीलों से भारी समर्थन मिल रहा है और हम इस आंदोलन को आगे बढाएंगे।"

अग्रवाल ने कहा, "वकील जब हिंदी में दलीलें पेश करते हैं तो न्यायाधीश उस पर तवज्जो नहीं देते। अंग्रेजी प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गयी है।" उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 348 अदालत में मुकदमों की सुनवाई में अंग्रेजी के साथ ही क्षेत्रीय भाषा में भी करने की सुविधा मुहैया कराता है।

उन्होंने कहा, "राजस्थान, इलाहाबाद और मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालयों में हिंदी का प्रयोग किया जा रहा है लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में इसका प्रयोग नहीं किया जा रहा।"

1 टिप्पणियाँ:

दिनेश शर्मा said...

हिन्दी के लिए हिन्दुस्तानी होने के नाते यह सार्थक और प्रशंसनीय प्रयास है । इस आवाज को बुलंद करने के लिए आपका धन्यवाद ।