पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, January 19, 2010

नेटवर्किन्ग वेबसाइट पर प्रोफाइल को सबूत माना कोर्ट ने।


एक व्यक्ति को अपनी इंटरनेट प्रोफाइल पर अपनी कंपनियों का उल्लेख करना महंगा पड़ गया। व्यक्ति की पत्नी ने इसी प्रोफाइल का उपयोग गुजारे भत्ते दावे के मुकदमे में सबूत के तौर पर किया। इसके बाद अदालत ने पति को अपनी पत्नी को 15,000 रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते निचली अदालत के एक आदेश को कायम रखते हुए यह आदेश दिया। मुकदमे के मुताबिक पत्नी ने तलाक की अपनी लंबित याचिका के तहत अपने पति से गुजारे भत्ते की मांग की थी। पत्नी ने पारिवारिक अदालत में सबूतों के तौर पर पति की सोशल नेटवर्किनग वेबसाइट की प्रोफाइल पेश की थी, जिनमें उसे चार फर्म्स और कई वाहनों का मालिक बताया गया था।

निचली अदालत ने इस जानकारी को सबूतों के तौर पर स्वीकार करते हुए पति को अपनी पत्नी को 15 हजार रुपये प्रति महीने का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। पति के वकील ने इसे हाई कोर्ट उच्च में चुनौती देते हुए कहा था कि प्रोफाइल का उपयोग सबूत के तौर पर नहीं हो सकता। पारिवारिक अदालत के आदेश को निरस्त करने से इनकार करते हुए हाई कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया।

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