पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, January 31, 2010

थैला लेकर बाजार जाने में क्या हर्ज है?-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल पर लगे प्रतिबंध में ढील देने की संभावना से शुक्रवार को इनकार किया। दिल्ली सरकार ने प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर रखा है। मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति वीएस सुरपुरकर एवं न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की एक पीठ ने कहा, 'इसके खतरों पर नजर डालें। प्लास्टिक की थैलियां देश में तबाही फैला रही हैं।' पीठ के अनुसार, प्लास्टिक की थैलियों पर लगे प्रतिबंध से उन पुराने दिनों की ओर लौटने में मदद मिलेगी, जब लोग कपड़े, जूट और कागज के बने थैलों को लेकर बाजार जाया करते थे।

न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि अगर प्रतिबंध जारी रखा जाता है तो पुरानी आदतें वापस लौटेंगी। लोग अपने हाथ में थैले लेकर बाजार जाएंगे। मैं खुद थैला लेकर बाजार जाता हूं। इसमें हर्ज ही क्या है। पीठ की यह टिप्पणी उस याचिका पर आई, जिसमें प्लास्टिग बैग निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने आरोप लगाया है कि प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना बिना उचित प्रक्रिया अपनाए हुए जारी की गई।

दिल्ली सरकार ने 7 जनवरी, 2009 को अधिसूचना जारी कर प्लास्टिक थैलियों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया। प्लास्टिक थैली निर्माताओं का कहना है कि यह अधिसूचना दिल्ली हाई कोर्ट के 7 अगस्त, 2008 के फैसले के खिलाफ है। कोर्ट ने केवल प्लास्टिक थैलियों की मोटाई की 20 माइक्रोंस से बढ़ाकर 40 करने का निर्देश दिया था। अदालत के निर्देश में इन थैलियों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की चर्चा भी नहीं की गई थी। निर्माताओं की ओर से कहा गया कि प्लास्टिक थैलियों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध को खत्म करना चाहिए। सब्जी की दुकानों और होटलों में इनके इस्तेमाल की इजाजत दी जानी चाहिए।

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