पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, January 5, 2010

यौन अपराधों की सुनवाई अब दो महीने में

रूचिका छेड़छाड़ मामला सामने आने के बाद अपराध प्रक्रिया संहिता में नए संशोधनों के तहत अब बलात्कार समेत तमाम यौन अपराधों की सुनवाई यथासम्भव दो महीने के भीतर पूरी की जाएगी और सभी पक्षों को अदालत के आदेश के खिलाफ अपील का अघिकार होगा।


31 दिसम्बर की मध्यरात्रि से अपराध प्रक्रिया संहिता में प्रभावी संशोधन, शिकायतकर्ताओं के लिए बड़ी राहत साबित होंगे। संशोधनों पर गृह मंत्रालय से जारी बयान में कहा गया है कि पीडितों को अभियोजन में मदद के लिए अब वकील करने की अनुमति होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि बलात्कार पीडित का बयान उसके घर में दर्ज किया जाएगा और कोई महिला पुलिस अघिकारी ही पीडित के माता-पिता या अभिभावक या सामाजिक कार्यकर्ता की मौजूदगी में बयान दर्ज करेगी।

संशोधनों के तहत बयानों को ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॅानिक साधनों के जरिए भी दर्ज किया जाएगा। संशोधन में राज्य सरकारों से अपराध से पीडित व्यक्ति या उसके आश्रितों को मुआवजा देने के लिए योजना बनाने के लिए भी कहा गया है।
अपराध प्रक्रिया संहिता में वर्ष 2006 में संशोधन किया गया था लेकिन 31 दिसम्बर वर्ष 2009 से पहले संशोधन अघिनियम प्रभावी नहीं हुआ था। पुलिस अघिकारी द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अघिकार और स्थगन मंजूर करने या इससे इनकार करने के अदालत के अघिकार सम्बन्धी तीन प्रावधानों धारा 5, 6 और 21-बी को फिलहाल लागू नहीं किया गया है।

इन प्रावधानों पर कुछ आपत्तियां आईं थीं, इसलिए इन प्रावधानों को विघि आयोग के पास भेज दिया गया। विघि आयोग ने इस पर विचार-विमर्श करके अपनी रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने एक संशोधन विधेयक को मंजूरी दी है। संसद के पिछले सत्र में इसे पेश नहीं किया जा सका था। उम्मीद है कि अब बजट सत्र में इसे पेश किया जाएगा।

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