पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, January 11, 2010

गरीब मां की मदद को पसीजा इंसाफ की देवी का दिल


आर्थिक तौर पर कमजोर एक महिला की सहायता के लिए हाई कोर्ट ने एमसीडी को निर्देश दिया है कि वह उक्त महिला को अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत राशन कार्ड जारी करे ताकि महिला वहां से अनाज ले सके। महिला ने इसी महीने एक बच्चे को जन्म दिया है और वह पोषण के अभाव में बच्चे को दूध तक नहीं पिला पा रही है।

अपने अंतरिम आदेश में जस्टिस एस. मुरलीधर ने एमसीडी से कहा है कि वह सुनिश्चित करे कि मां और बच्चे को सही मेडिकल सुविधा मिले और उन्हें इलाज में कोई दिक्कत न हो। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि एक एंबुलेंस की व्यवस्था करें ताकि जब भी इलाज के लिए उक्त महिला जी. बी. पंत अस्पताल में जाए तो कोई दिक्कत न हो।

इस बीच मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह दिल्ली सरकार के संबंधित विभाग को इस बाबत निर्देश जारी करेंगे कि वह महिला फातिमा को नैशनल मैटरनिटी बेनिफिट स्कीम के तहत 500 रुपये का भुगतान करें। अदालत ने निर्देश दिया कि अगर उक्त महिला को रुपये नहीं मिले तो अगली सुनवाई के दौरान 13 जनवरी को दिल्ली सरकार के हेल्थ सेक्रेटरी और केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी अदालत में पेश हों।

फातिमा ने अपनी मां के जरिये अदालत में अर्जी दाखिल की थी। अर्जी में कहा गया था कि बार-बार अनुरोध करने के बाद भी एमसीडी राशन कार्ड उपलब्ध कराने में फेल रही है। अर्जी में कहा गया कि एमसीडी के जंगपुरा स्थित मैटरनिटी होम में फातिमा ने इसी महीने बच्चे को जन्म दिया उसके बाद फातिमा की मां ने एमसीडी के सामने राशन कार्ड के लिए अप्लाई किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ फिर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

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