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Sunday, February 7, 2010

सिमी पर लगा प्रतिबंध 2 साल के लिए बढ़ा

केंद्र ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट्स ऑफ इंडिया (सिमी) के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां निवारण कानून, 1967 के तहत लगे प्रतिबंध को 7 फरवरी से 2 साल के लिए बढ़ा दिया है. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे सबूत मिले, जिससे पता चलता है कि सिमी देश में आतंकी हमले करने की योजना बना रहा है. इसके आलोक में उसके खिलाफ लगे प्रतिबंध को बढ़ा दिया गया है.

आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने पर सिमी के खिलाफ पहली बार सितंबर, 2001 में प्रतिबंध लगाया गया था. इसके बाद 2003 और 2006 में इसे बढ़ाया गया. सिमी के खिलाफ प्रतिबंध को आखिरी बार 8 फरवरी, 2008 को बढ़ाया गया था. गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार गैरकानूनी संगठन सिमी ऐसी गतिविधियों में लिप्त है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं. इसके अलावा उससे देश के सामाजिक तानेबाने के प्रभावित होने तथा शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान होने की आशंका है.

संगठन के तार पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों खासकर लश्कर-ए-तैयब और जैश-ए-मुहम्मद से जुड़े होने के आरोप हैं. कानून के प्रावधानों के अनुसार फैसले की पुष्टि के लिए सरकार को उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश की अगुवाई में एक न्यायाधिकरण का गठन करना होगा. न्यायाधिकरण का गठन एक हफ्ते के अंदर करना होगा और प्रतिबंध के बारे में कोई फैसला छह महीनों के अंदर लेना होगा.

सिमी ने विगत में प्रतिबंध के फैसलों को चुनौती दी थी, लेकिन उसकी अपील अस्वीकार कर दी गयी. सिमी पर 2006 में मुंबई ट्रेन विस्फोटों और मालेगांव विस्फोटों में शामिल होने का आरोप है. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार अन्य स्थानों के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरल, बिहार और महाराष्ट्र में संगठन के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोग हैं.

सिमी ने 7 फरवरी, 2008 की अधिसूचना को चुनौती दी थी. इसकी सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधिकरण ने 2 साल का प्रतिबंध हटा दिया था. बाद में उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधिकरण के आदेश को स्थगित कर दिया था.

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