पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, February 19, 2010

आरजेएस परीक्षा परिणाम पर रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा-2008 के परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी। यह रोक हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश एएम कपाड़िया व गोपालकृष्ण व्यास की खंडपीठ ने श्रवणकुमार की याचिका की सुनवाई के बाद लगाई है। यह रोक याचिका के निस्तारण तक रहेगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हनुमानसिंह मेहरिया ने स्केलिंग पद्धति के आधार पर तैयार मेरिट सूची के तहत साक्षात्कार आयोजित करने को चुनौती दी।

इसमें कहा कि उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2007 में संजय सिंह बनाम यूपी पीएससी के मामले में न्यायिक सेवा परीक्षाओं में स्केलिंग पद्धति को असंवैधानिक व अनुपयुक्त करार दिया था।
आरपीएससी की ओर से वर्ष 2005 में आयोजित आरजेएस परीक्षा में स्केलिंग पद्धति अपनाते हुए 2007 में नियुक्तियां दी गई।



इस संबंध में हाईकोर्ट की जयपुर खण्डपीठ ने सरिता नौशाद व व अन्य सत्रह अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका में स्केलिंग पद्धति को असंवैधानिक करार दिया। साथ ही कहा था कि यह नियुक्तियां हुए काफी समय हो चुका है, इसलिए केवल याचिकाकर्ताओं को ही आरजेएस परीक्षा 2008 की नियुक्तियों से पहले बिना स्केलिंग से साक्षात्कर कर मेरिट के आधार पर नियुक्तियां दी जाएं। जयपुर पीठ के आदेश को आरपीएससी ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।

उच्चतम न्यायालय ने आरजेएस परीक्षा 2008 से पूर्व इन याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति देने के जयपुर पीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इन आदेशों की आड़ में आरपीएससी ने आरजेएस परीक्षा 2008 की चयन प्रक्रिया में पुन: स्केलिंग पद्धति से तैयार मेरिट के तहत 27 जनवरी २क्१क् से साक्षात्कार आयोजित कर लिए। याचिकाकर्ता श्रवण कुमार ने इस चयन प्रक्रिया को चुनौती दी। अधिवक्ता मेहरिया ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि आरजेएस नियम 1955 के नियम 14 व 15 के अनुसार स्केलिंग पद्धति से परीक्षा आयोजित करने से पूर्व हाईकोर्ट की सहमति आवश्यक है, जो आरपीएससी ने नहीं ली गई।

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