पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, February 27, 2010

ग्रीष्मावकाश में एकल न्यायाधीश के आदेश के विरुद्ध स्पेशल अपील पोषणीय

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन जजों की पूर्ण पीठ ने यह व्यवस्था दी है कि ग्रीष्मावकाश के दौरान एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध दो जजों के समक्ष स्पेशल अपील दाखिल की जा सकती है। यह फैसला पूर्ण पीठ के समक्ष संदर्भित किया गया था। यह फैसला न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति अरुण टण्डन व न्यायमूर्ति संजय मिश्रा की पूर्ण पीठ ने कुलदीप कुमार त्रिपाठी की स्पेशल अपील पर दिया है।

कहा गया कि अभी तक ग्रीष्मावकाश में एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध दो जजों के समक्ष स्पेशल अपील दायर करने पर मतैक्य नहीं था। एक न्यायिक व्यवस्था के अनुसार ग्रीष्मावकाश में एकल जज के पास दो जज की अधिकारिता रहती है। दूसरी न्यायिक व्यवस्था के अनुसार एकल न्यायाधीश के आदेश के विरुद्ध दो जजों के समक्ष ही स्पेशल अपील दाखिल हो सकती है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने पूर्णपीठ के समक्ष तर्क दिया कि हाईकोर्ट रूल्स के अनुसार ग्रीष्मावकाश में एकल न्यायाधीश एकल जज की अधिकारिता के तहत ही कार्य करते हैं। ऐसे में उनके हर आदेश को दो जजों के समक्ष स्पेशल अपील में चुनौती दी जा सकती है।

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