पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, February 17, 2010

अदालतें भी दे सकती हैं सीबीआई जांच का आदेश: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्ट लोकसेवकों और राजनीतिक पहुंच रखने वाले समाज विरोधी तत्वों के खिलाफ  सख्त रुख अपनाते हुए व्यवस्था दी है कि संबंधित राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बगैर भी हाईकोर्ट सीबीआई जांच का आदेश दे सकते हैं। शीर्ष कोर्ट के चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन नीत पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को यह अहम व्यवस्था दी।

शीर्ष कोर्ट ने सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार तथा राजनीति का अपराधीकरण रोकने की कोशिश के तहत अपनी व्यवस्था में कहा कि एक बार हाईकोर्ट को यह भरोसा हो जाए कि राज्य की जांच एजेंसियां किसी मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष काम नहीं कर रही हैं तथा मुजरिम को बचाने की कोशिश में हैं, तो राज्य के विरोध के बावजूद वह सीबीआई को मामले की जांच का आदेश दे सकता है।
बेंच ने कहा कि इन शक्तियों का राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय महत्व के अपवादस्वरूप व असाधारण मामलों में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अन्यथा सीबीआई के पास रोजमर्रा के मामलों का ढेर लग लग जाएगा।
शीर्ष कोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षक हैं। प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच का हक है। राज्य को अपराध या अधिकारों के दुरुपयोग का शिकार बने व्यक्ति को ऐसी जांच के जरिए न्याय पाने से वंचित करने का हक नहीं है।
बेंच ने यह व्यवस्था पश्चिम बंगाल सरकार तथा अन्य द्वारा पेश याचिकाओं पर दी। इन याचिकाओं में कहा गया था कि दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों के तहत किसी राज्य में सीबीआई तभी जांच कर सकती है जब संबंधित सरकार उसे पूर्व अनुमति दे।

शीर्ष कोर्ट ने इस व्यवस्था के मार्फत वह संरक्षण हटा लिया है जिसके तहत सत्तारूढ़ नेता सीबीआई का आग्रह ठुकरा कर अपने आदमियों को बचाने के लिए कथित रूप से अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हैं।
प्रकाश सिंह बादल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि यदि किसी लोकसेवक पर भ्रष्टाचार और घूसखोरी के आरोप हैं तो उस पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं है क्योंकि आधिकारिक रूप से ड्यूटी पूरी करने और भ्रष्टाचार में कोई संबंध नहीं है।

1 टिप्पणियाँ:

honesty project democracy said...

Aap samaj ko apne blog ke jariye kanoon jagat ke bare khabar se abgat karakar nidar banane ka pryash kar rhen hain,yah behad sarahniy hai.Aap WWW.HPRDINDIA.ORG dekhiye aur soch kar mujhe bataeye ki kya aap is andolan ka netritaw kar sakte hain? desh ko aap jaise ke netritaw ki aaj behad jaroorat hai.