पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, February 19, 2010

न्यायिक अधिकारी के रिवर्सन पर हाईकोर्ट की रोक

राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर खंडपीठ ने उच्च न्यायिक सेवा के एक अधिकारी को न्यायिक सेवा में लगाने के प्रकरण में स्टे देते हुए रजिस्ट्रार जनरल से स्पष्टïीकरण मांगा है। उच्च न्यायालय प्रशासन ने उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारी एल.डी.किराड़ू को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर 28 जनवरी 2009 को लगाया था, जबकि किराड़ू अपर सेशन न्यायाधीश फास्ट टे्रक के पद पर कार्यरत थे। इस रिवर्सन के विरुद्ध किराड़ू ने उच्च न्यायालय जयपुर पीठ में याचिका दायर की थी। 
न्यायालय ने 15 जनवरी 2010 के अपने आदेश में रजिस्ट्रार जनरल को किराड़ू के सेवा संबंधी प्रकरण का अंतिम तौर पर निस्तारण कर एक माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे लेकिन रजिस्ट्रार प्रशासन ने इस आदेश की पालना नहीं की, जिस पर खंडपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल से स्पष्टïीकरण मांगा है। खंडपीठ ने यह पूछा है कि क्यों और किन परिस्थितियों में आदेश की पालना नहीं की गई। खंडपीठ ने साथ ही किराड़ू के रिवर्सन पर रोक लगा दी है। 
किराड़ू की ओर से अधिवक्ता संजीव प्रकाश शर्मा, रोशन भार्गव तथा उच्च न्यायालय की ओर से अधिवक्ता वी.एस.गुर्जर ने पैरवी की। गौरतलब है कि बीकानेर निवासी किराड़ू वर्तमान में जोधपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं।

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