पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, February 2, 2010

न्यायिक सेवा परीक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान न्यायिक सेवा- सिविल जज जूनियर डिविजन की परीक्षा - 2005 के संदर्भ में राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राजस्थान राज्य लोक सेवा आयोग की 17 विशेष अनुमति याचिकाओं पर राज्य सरकार और 17 विफल अभ्यर्थी प्रतिवादियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

नोटिस का जवाब 18 फरवरी तक देने का निर्देश दिया। ज्ञातव्य हो कि 18 दिसम्बर 2009 को सुप्रीम कोर्ट ने सरिता नौशाद के एक मामले में नोटिस जारी करते हुए हाई कोर्ट द्वारा 27 अक्टूबर 2009 के फैसले पर अंतरिम स्थगनादेश जारी किया था। मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन न्यायाधीश जे एम पंचाल और न्यायाधीश दीपक वर्मा की खण्डपीठ को राजस्थान राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से अघिवक्ता सूर्यकांत ने कहा कि आयोग द्वारा राजस्थान न्यायिक सेवा - 2005 की प्रतियोगी परीक्षा के अंकों के स्केलिंग का प्रावधान रखा गया था जो कि न्यायोचित है।

परन्तु हाई कोर्ट ने 27 अक्टृूबर 2009 को आयोग के तर्क को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा संजय सिंह बनाम उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के फैसले को आधार मानते हुए प्रतिवादियों की याचिकाएं मंजूर कर ली थी। खण्डपीठ ने बहस सुनने के बाद राजस्थान हाई कोर्ट राज्य सरकार सहित 17 प्रतिवादियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

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