पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, February 10, 2010

सजायाफ्ता नाबालिग कर सकता है सरकारी नौकरी

बचपन में आपराधिक मामले का आरोपी रहा एक युवक अब पुलिस बन कर अपराधियों को पकड़ सकेगा। हालांकि इसके लिए उसकी राह आसान नहीं रही और अदालत में गुहार लगाने के बाद ही उसे दिल्ली पुलिस में नौकरी मिल सकी है। इस आदेश के साथ ही कैट ने यह भी कहा है कि यदि किसी नाबालिग को सजा भी हो जाती है तो उसे सरकारी नौकरी देने से इंकार नहीं किया जा सकता है। दरअसल हत्या के प्रयास मामले में आराेपी रहे एक नाबालिग काे अदालत ने बरी कर दिया।

बालिग हाने पर उसने दिल्ली पुलिस भर्ती प्रक्रिया की सभी परीक्षाएं उत्तीर्ण कर ली। लेकिन दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने उस पर चले आपराधिक मामले की वजह से उसका चयन नहीं किया। इसके बावजूद युवक ने हिम्मत नहीं हारी और कैट के समक्ष गुहार लगाई। सुनवाई के बाद कैट ने युवक काे भर्ती करने का आदेश देते हुए दिल्ली पुलिस को तीन माह का समय दिया है।

जानकारी के अनुसार प्रदीप गाजियाबाद का रहने वाला है। उसका जन्म 18 फरवरी 1985 को हुआ था। 12 फरवरी 2002 में उसके खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने धारा 147/324/504/३07 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था। उस समय वह लगभग 17 वर्ष का था। इस मामले की सुनवाई अदालत में चली और नवंबर 2006 को अदालत ने उसे बरी कर दिया था। वर्ष 2008 में दिल्ली पुलिस में सिपाही पद के लिए आयाेजित भर्ती परीक्षा के लिए प्रदीप ने भी आवेदन किया। आवेदन के समय उसने अपने खिलाफ दर्ज मामले और बरी होने संबंधित सभी जानकारी दिल्ली पुलिस को दी थी। इसके बाद प्रदीप को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई।
उसने परीक्षा संबंधित सभी प्रक्रियाएं सफलता पूर्वक उत्तीर्ण की। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद वह कॉल लेटर का इंतजार करने लगा। लेकिन कॉल लेटर के बजाए दिल्ली पुलिस की ओर से उसे आपराधिक मामला दर्ज हाेने के चलते जुलाई 2009 को कारण बताओ नोटिस भेज दिया गया। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उसे फोर्स में भर्ती करने से इंकार कर दिया।

दिल्ली पुलिस के आला-अधिकारियों के इस रवैये से आहत प्रदीप ने कैट की शरण लेते हुए अपने वकील अनिल सिंघल के द्वारा दलील दी कि अदालत प्रदीप काे इस मामले में पहले ही बरी कर चुकी है। दूसरा जब प्रदीप के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था वह नाबालिग था। अदालत ने इस दलील काे मानते हुए यह भी कहा है कि यदि एक नाबालिग काे सजा भी हाे जाए ताे उसे सरकारी नौकरी देने से इंकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने पुलिस अधिकारियों को तीन माह के अंदर प्रदीप को सिपाही के पद पर भर्ती करने का आदेश दिया है।

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