पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, February 7, 2010

राजस्थान हाई कोर्ट की खंडपीठ ने आरएएस में स्केलिंग प्रणाली को चुनौती देने के मामले में दखल से इनकार

राजस्थान हाई कोर्ट की खंडपीठ ने आरएएस परीक्षा 07 में स्केलिंग प्रणाली को चुनौती देने के मामले में सरकार के प्रार्थना पत्र पर दखल से इनकार कर दिया जिसमें आरएएस के पदों पर नियुक्ति की अनुमति मांगी थी। न्यायाधीश के.एस.राठौड़ व महेश भगवती की खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह सिंगल बैंच में ही जाएं। खंडपीठ ने यह निर्देश सरकार की अपील का निपटारा करते हुए दिया।खंडपीठ ने कहा, यदि एकलपीठ 8 फरवरी तक मामले की सुनवाई न करे तो सरकार एकलपीठ के समक्ष आरएएस पदों पर नियुक्ति की अनुमति का प्रार्थना पत्र पेश करें। यदि एकलपीठ चाहे तो नियुक्तियों की अनुमति याचिका के निर्णय के अधीन रखते हुए दे सकती है। खंडपीठ ने दोनों पक्षों को कहा कि वे एकलपीठ से मामले का जल्द निपटारा करने का आग्रह करें।

यह है मामला

याचिकाओं में आरएएस परीक्षा 2007 में स्कैलिंग प्रणाली को चुनौती देते हुए कहा था कि इससे कई अभ्यर्थी अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद भी मेरिट में नहीं आ सके। परीक्षा में अनिवार्य विषयों में स्केलिंग कर दी गई, जो न्यायोचित नहीं है। जिन अभ्यर्थियों के स्केलिंग में अधिक अंक आए थे, उनके साक्षात्कार में भी अधिक अंक दिए गए , इससे याचिकाकर्ता अभ्यर्थी मेरिट में आने से वंचित रह गए।

हाई कोर्ट की एकपीठ ने 13 नवंबर 09 के आदेश से नियुक्तियों पर अंतरिम रोक लगाते हुए सरकार को निर्देश दिया था कि वह नियुक्ति की प्रक्रिया जारी रखे, लेकिन अदालत की अनुमति के बिना नियुक्ति न करे। यह अंतरिम आदेश जयसिंह व पांच अन्य की याचिकाओं पर दिया था। साथ ही राज्य सरकार को अभ्यर्थियों के मेडिकल व पुलिस सत्यापन की प्रक्रिया जारी रखने की छूट दी थी।

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