पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, February 15, 2010

बलात्कार पीडिता के बयान हमेशा सत्य हो जरूरी नहीं-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि बलात्कार पीडिता के बयान को पूर्ण सत्य नहीं माना जा सकता लेकिन सामान्य परिस्थितियों में उसके बयान पर यकीन किया जाना चाहिए। न्यायाधीश एचएस बेदी और न्यायाधीश जेएम पांचाल की बेंच ने कहा कि पीडिता के बयान को प्रमुखता दी जानी चाहिए लेकिन यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह अंतिम सच ही बोल रही है। आरोपों को साबित करने के लिए दूसरे आपराधिक मामलों की तरह उसे भी "तर्कसंगत संदेहों" से परे साबित करना होता है। शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, हमें इस बात का ध्यान है कि बलात्कार के मामलों में पीडिता के बयान को सबसे त्यादा तवज्जो दी जानी चाहिए लेकिन ठीक इसी वक्त व्यापक सिद्धांत यह है कि अभियोजन पक्ष को दूसरे मामलों की तरह बलात्कार के आरोपों को भी तर्कसंगत संदेहों से परे साबित करना होता है। ऎसी कोई अवधारणा नहीं हो सकती कि अभियोजिका पूरी कहानी हमेशा सच ही बताएगी। एक नाबालिग ल़डकी के बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे तीन आरोपियों में से एक अब्बास अहमद चौधरी को रिहा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उक्त बातें कहीं। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि 15 सितंबर 1997 को मोहम्मद मिजाजुल हक, अब्बास अहमद चौधरी और रंजू दास (फरार) ने पीडिता को जबरन जलालपुर में एक चाय बागान में ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया था।
असम के सेशन्स कोर्ट ने दो अभियुक्तों चौधरी और हक को बलात्कार का दोषी पाया। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने भी यह फैसला बरकरार रखा। इसके बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने चौधरी को संदेह का लाभ दिया क्योंकि पीडिता के बयान विरोधाभासी थे। 17 सितंबर 1997 को अभियोजिका ने अब्बास अहमद चौधरी पर बलात्कार का कोई आरोप नहीं लगाया। इसी तरह उसने बयान में कहा कि वह उन लोगों में नहीं था जो उसका अपहरण कर जलालपुर चाय बागान में ले गए। साथ ही उसने स्पष्ट रूप से कहा कि वह रंजू दास के साथ गांव लौट रही थी तभी चौधरी कहीं पर उनसे मिला लेकिन उसने बलात्कार नहीं किया। यह भी सत्य है कि उसने कोर्ट में चौधरी पर बलात्कार करने का आरोप लगाया लेकिन उसके पहले के बयानों को देखते हुए चौधरी के बलात्कार करने को लेकर भ्रम की स्थित पैदा होती है। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि मिजाजुल हक को दोषी ठहराए जाने के फैसले को बरकरार रखा और उसकी अपील खारिज कर दी।

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