पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, March 21, 2010

21 न्यायिक अफसरों को मिलेगी अनिवार्य सेवानिवृत्ति

राजस्थान हाईकोर्ट  की पूर्ण पीठ ने सरकार से न्यायिक सेवा के 21 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की अनुशंसा की है। मुख्य न्यायाधीश जगदीशचन्द्र भल्ला की अध्यक्षता में शनिवार को मुख्यपीठ में हुई बैठक में न्यायिक सेवा से जुड़े कई अन्य निर्णय भी लिए गए।

सूत्रों के अनुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति के 21 मामलों में 18 राजस्थान उच्च न्यायिक सेवा के व 3 राजस्थान न्यायिक सेवा के हैं। दो अधिकारियों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के प्रार्थना पत्र को मंजूरी दे दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता बनाने की प्रक्रिया तय करने के साथ ही आरएचजेएस के रिक्त पदों में से 36 पद वकीलों से तथा शेष पदोन्नति से भरने का फैसला भी किया गया।

मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला ने न्यायिक अधिकारियों के सेवा रिकॉर्ड की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति के सदस्य न्यायाधीश प्रकाश टाटिया, केएस राठौड़, दिलीपसिंह, जेआर गोयल व तत्कालीन न्यायाधीश एचआर पंवार शामिल थे।

इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में 23 न्यायिक अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश की थी। लेकिन २३ अधिकारियों में शामिल उच्च न्यायिक सेवा के दो अधिकारियों ने पूर्णपीठ की बैठक से पहले ही वीआरएस का आवेदन कर दिया। एडवर्स एसीआर कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी दी गई है।

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