पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, March 14, 2010

अविवाहित व्यक्ति का दत्तक पुत्र या पुत्री अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं -सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी अविवाहित व्यक्ति का दत्तक पुत्र या पुत्री अनुकंपा नियुक्ति पाने का तब हकदार नहीं है जब वैधानिक नियम इस तरह की नियुक्तियों को विशेष तौर पर रोकते हों। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने अपने एक आदेश में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक एसबीआई को मृतक सतीश साहू की दत्तक पुत्री श्वेता साहू को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देने के निर्देश दिए गए थे।
इस मामले में एसबीआई ने दो मार्च, 2001 को श्वेता साहू को अनुकंपा आधार पर नियुक्ति देने से इनकार कर दिया था क्योंकि उपबंध तीन (एफ) के तहत इस तरह की नियुक्ति की अनुमति नहीं है।
इस उपबंध के मुताबिक, अविवाहित कर्मचारियों की दत्तक पुत्रियां अनुकंपा आधार पर नियुक्ति के उद्देश्य से आश्रितों की परिभाषा के दायरे में नहीं आतीं। सिर्फ अविवाहित कर्मचारियों के भाइयों और बहनों को ही आश्रित माना जाता है।
बहरहाल, इस नियम में एक छूट यह है कि विवाहित कर्मचारी के मामले में ''आश्रित'' की परिभाषा में दत्तक पुत्र या पुत्री शामिल रहती है और उनकी नियुक्ति पर विचार किया जा सकता है।
श्वेता ने इस नियम को असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण बताते हुए इसे चुनौती दी थी। हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने उनकी अर्जी खारिज कर दी थी, पर खंडपीठ ने एसबीआई को अनुकंपा आधार पर उन्हें नियुक्ति देने के बारे में विचार करने को कहा था। इसके बाद एसबीआई ने वकील संजय कपूर के जरिए शीर्ष अदालत में अपील की थी।

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