पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, March 19, 2010

सड़कों पर अब जुगाड़ नहीं - राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने क्षमता से ज्यादा सवारी, चारा, रूई या अन्य सामग्री भरे वाहनों को रोकने तथा "जुगाड़" वाहनों को जब्त करनेनिर्देश दिए हैं। साथ ही, क्षमता से अधिक भरे वाहनों के मामले में मुख्य सचिव के जरिए राज्य सरकार, प्रमुख गृह व परिवहन सचिव, पुलिस महानिदेशक व सभी जिलों के कलक्टर, एसपी और आरटीओ-डीटीओ से दो अपे्रल तक जवाब मांगा है। न्यायाधीश के.एस. राठौड़ व न्यायाधीश महेशचन्द्र शर्मा की खण्डपीठ ने मोरल नदी (सवाईमाधोपुर) बस हादसा प्रकरण के बारे में राजस्थान पत्रिका सहित अन्य समाचार पत्रों की खबरों के आधार पर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज करते हुए गुरूवार को यह कार्रवाई की। न्यायालय ने 15 मार्च को तड़के सड़क दुर्घटना में छात्र-छात्राओं की मौत पर संवेदना प्रकट की।

अदालत ने कहा कि इस दर्दनाक हादसे के बारे में 16 मार्च को प्रकाशित खबरों ने झकझोर दिया। खबरों के मुताबिक क्षमता से ज्यादा चारे से भरे जुगाड़ ने लगभग पूरे पुल को घेर रखा था, इसके कारण देहरादून-मसूरी व वृंदावन से शैक्षणिक भ्रमण से छात्र-छात्राओं को वापस झालावाड़ ले जा रही बस के नियंत्रन खोने से हादसा हुआ। इस क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश में जुगाड़, ट्रक, ट्रेक्टर व अन्य वाहनों में बाहर तक चारा भरा त्रिपाल लटकता रहता है, जिससे सड़क घिरी रहती है।

इसके कारण दूसरे वाहनों को कुछ भी दिखाई नहीं देता और वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। ऎसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें चारे में आग लगने से वाहन खाक हो जाते हैं और यातायात बुरी तरह प्रभावित होता है। अगली सुनवाई दो अपे्रल को होगी।

सवाईमाधोपुर के पास मोरल नदी पर हुए इस हादसे में मरने वाले अधिकतर छात्र-छात्रा 19 से 22 वर्ष के थे। इन बच्चों के परिजनों की हालत आज कल्पना से परे होगी। विद्यार्थी देश का भविष्य होते हैं। ऎसे में इस तरह के हादसों को रोकने का समय आ गया है, इन हादसों को रोकने के लिए पुलिस के साथ परिवहन अधिकारियों को कदम उठाने होंगे।

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