पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, March 25, 2010

आंध्र प्रदेश में मुस्लिम आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

आंध्र प्रदेश में पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसके तहत इस आरक्षण को रद्द कर दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला संविधान पीठ को सौंप दिया है जो इस मसले पर अंतिम फैसला करेगा।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है। गुरुवार को उसने फरवरी में दिए गए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले के अमल पर रोक लगा दी, जिसमें पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण देने के फैसले को रद्द कर दिया गया था। यानी सरकार द्वारा चिन्हित मुसलमानों की 14 पिछड़ी जातियों को शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में चार प्रतिशत आरक्षण मिलना जारी रहेगा। सरकार ने 2007 में ये आरक्षण नीति लागू की थी। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला संविधान पीठ को सौंप दिया है, जो इस मसले पर आखिरी फैसला सुनाएगा। संविधान पीठ अगस्त से इस मामले की सुनवाई शुरू करेगा।

2007 में जारी एक अधिसूचना के जरिए आंध्र सरकार ने मुसलमानों की पिछड़ी जातियों को चार प्रतिशत आरक्षण दिया था। लेकिन इससे क्रीमी लेयर को अलग रखा गया था। इसमें मुसलमानों की दस अगड़ी जातियों को छोड़कर सभी को लाभ मिल रहा था। लेकिन हाईकोर्ट ने फरवरी में ये आरक्षण रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। लेकिन सरकार की दलील है कि आरक्षण सिर्फ पिछड़ी जातियों को दिया जा रहा है ना कि पूरे मुसलमानों को।

जाहिर है कि आंध्र प्रदेश के मुसलमान सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत कर रहे हैं। इस मसले पर फैसला करने वाले तीन सदस्यीय पीठ में शामिल मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने कहा है कि ये सच है कि मुसलमानों में पिछड़ी जातियां हैं जो शैक्षिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ी हैं। अगर हम इन जातियों को चिन्हित करने के लिए सर्वे कराने लगे तो बरसों बीत जाएंगे। और उन्हें आरक्षण का लाभ कभी नहीं मिल पाएगा। जो भी पिछड़े हैं उन्हें आरक्षण जरूर मिलना चाहिए।

0 टिप्पणियाँ: