पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, March 28, 2010

कर्नाटक हाईकोर्ट ने रद्द किए अपने ही चीफ जस्टिस के आदेश

कर्नाटक हाईकोर्ट ने जमीन पर अतिक्रमण के आरोपों का सामना कर रहे अपने चीफ जस्टिस पीडी दिनाकरन के तीन सर्कुलरों को रद्द कर दिया है। पिछले साल 29 दिसंबर को उन्होंने ये सकरुलर जारी किए थे।

जमीन पर कब्जा करने के आरोपों में घिरने के बाद से दिनाकरन सुनवाई नहीं कर रहे हैं। उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही भी शुरू की गई है। जस्टिस एन कुमार और जस्टिस श्रीनिवासगौडा की डिवीजन बेंच ने हाईकोर्ट के चपरासी एमएस पुजारी की याचिका को स्वीकारते हुए शुक्रवार को इस संबंध में फैसला दिया।

बेंच ने चीफ जस्टिस के अधिकारों को चुनौती देने वाली हाईकोर्ट कर्मचारियों और अधीनस्थ अदालतों के न्यायिक अधिकारियों की याचिकाओं को सिंगल बेंच को सुनवाई के लिए सौंपने के निर्देश दिए हैं।

फैसले का असर: सर्कुलर रद्द करने के फैसले से उत्तर कर्नाटक के वादियों के लिए सीधे मुख्य बेंच में मामला पेश करने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा जो कि वे पहले नहीं कर सकते थे। पहले सकरुलर के अनुसार कोर्ट कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारियों द्वारा चीफ जस्टिस के आदेशों को चुनौती देने वाले मामलों की सुनवाई हाल क्रमांक-1 को सौंपी जाती थी। यहीं चीफ जस्टिस बैठते हैं। बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि सकरुलर से ऐसी स्थिति बन गई थी कि चीफ जस्टिस ही उस मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें कि वे वादी भी थे। एक साथ कोई वादी और जज नहीं हो सकता।

क्या था रद्द हुए सर्कुलर में :
1. चीफ जस्टिस को अपने प्रशासनिक फैसलों के खिलाफ हाईक ोर्ट कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारियों के आवेदनों की सुनवाई का अधिकार,
2. चीफ जस्टिस को यह तय करने का अधिकार कि कौन सा मामला कौन सी बेंच सुनेगी,
3. तीसरे सकरुलर में कोर्ट रजिस्ट्री को मध्यस्थता संबंधी सभी आवेदन विविध याचिका के रूप में सूचीबद्ध करने के निर्देश थे।

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