पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, March 28, 2010

अदालती नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद : रेड्डी

कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला ‘कानून, न्याय और आम आदमी’ में यूं तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक ने अपने भाषण में न्यायिक सुधारों की वकालत की। लेकिन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी ने न्यायपालिका में उच्च पदों पर नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद का मसला उठाकर सबको चौंका दिया।

रेड्डी ने पार्टी फोरम पर दो-टूक लहजे में नियुक्ति प्रक्रिया की खामियां गिनाईं और इसमें सुधार की दरकार बताया। उन्होंने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करता हूं कि न्यायपालिका में उच्च पदों पर नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के उच्च स्तर पर होने वाली नियुक्तियों पर सवाल उठते रहते हैं और भाई-भतीजावाद तथा पक्षपात के आरोप भी लगते हैं। उन्होंने कहा कि मैं नहीं कह रहा हूं कि सभी आरोप सही हैं लेकिन मौजूदा सिस्टम में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने ये सभी सवाल उठाते हुए कहा कि यह मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। कई अन्य वक्ताओं ने रेड्डी की ओर से उठाए गए सवालों का परोक्ष तरीके से समर्थन किया।

मौके पर मौजूद अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने रेड्डी के सवालों के जवाब में कहा कि यहां मौजूदा बहुत से लोगों की यह भावना सामने आई है कि जजों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया पर पुनर्विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मसला है और मैं आश्वत करता हूं कि इस मुद्दे को हम उतनी ही गंभीरता से ले रहे हैं जितना यह वाकई में है।

रेड्डी ने पूरे भाषण में न्यायिक सुधारों के मसले को जोर-शोर से उठाया। लेकिन मजे की बात यह रही कि इसी सम्मेलन में कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कांग्रेस से जुड़े वकीलों के लिए राष्ट्रीय डाटा तैयार करने की जरूरत बताकर एक नई बहस को जन्म दे दिया। उन्होंने कहा कि हम उन्हें अलग-अलग फील्ड में प्रशिक्षण दे सकते हैं और उन्हें जुडिशियरी की मुख्य धारा में लाया जा सकता है। मोइली के इस बयान के भी अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे हैं। सम्मेलन में मोइली और रेड्डी के बयानों के बीच विरोधाभास को लेकर भी गुपचुप सुगबुगाहट देखने को मिली। हालांकि बाद में कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के चेयरमैन अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह पार्टी का फोरम है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन इसी उद्देश्य से रखा गया था कि पार्टी के नेता और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपनी बात अपने लोगों के बीच खुलकर रख सकें।

0 टिप्पणियाँ: