पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, March 19, 2010

कैपिटेशन फीस वसूलने पर रोक लगाने के लिए कैबिनेट ने अहम विधेयक को अपनी मंजूरी दी।

प्राइवेट कॉलेजों और इंस्टिट्यूट्स में छात्रों से एडमिशन के लिए वसूली जाने वाली कैपिटेशन फीस के चलन को रोकने के लिए कैबिनेट ने शुक्रवार को अहम विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। तकनीकी एवं चिकित्सा शिक्षा संस्थानों एवं यूनिवर्सिटियों में अनुचित आचरण को प्रतिबंधित करने वाले इस विधेयक को अब संसद में पेश किया जाएगा। विधेयक में कैपिटेशन फीस वसूलने पर रोक लगाने की सख्त व्यवस्थाएं की गई हैं।

विधेयक में कैपिटेशन फीस लेने वाले और गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने के वायदे से हटने वाले संस्थानों पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है। दोषी कॉलेज प्रशासकों को तीन साल तक की जेल हो सकती है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार यह विधेयक हायर एजुकेशन की क्वॉलिटी को बनाए रखने और उसमें सुधार लाने के लिए शिक्षा क्षेत्र में मील की पत्थर साबित होगा। मंत्रालय के अधिकारियों को कहना है कि पिछले काफी समय से देश भर में तकनीकी व चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में कैपिटेशन फीस वसूलने का चलन है। उन्होंने कहा कि ऐसे शिक्षण संस्थानों की संख्या भी कम नहीं है जो छात्रों से कैपिटेशन फील लेने के बावजूद क्वॉलिटी एजुकेशन नहीं देते।शिक्षण संस्थानों में योग्य फैकल्टी की भी कमी रही है।

विधेयक में ऐसे अनुचित आचरण को अपराध की संगीनता के आधार पर आपराधिक या दीवानी मामले की श्रेणी में रखा जाएगा। दीवानी मामलों की सुनवाई सामान्य अदालतों में न होकर शैक्षिक ट्रिब्यूनल में होगी। इन टिब्यूनलों का अलग से गठन होगा। ये शैक्षिक मामलों से जुड़े उल्लंघनों की सुनवाई करेंगे।

मंत्रालय ने शैक्षिक न्यायाधिकरण विधेयक का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। इसमें छात्रों के उत्पीड़न या शिक्षण कार्य में गड़बड़ी सहित हर तरह के विवादों का निपटान करने के लिए ट्रिब्यूनल स्थापित करने का प्रावधान है। आपराधिक मामलों की सुनवाई सामान्य अदालतों में ही होगी। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार यदि कोई शिक्षण संस्थान अपने प्रॉसपेक्टस में छात्रों से किए गए वायदे पूरा नहीं करता तो ऐसे चलन को आपराधिक मामलों की श्रेणी में रखा जाएगा।

कैबिनेट ने तकनीकी एवं चिकित्सा शिक्षा संस्थानों और यूनिवर्सिटियों में अनुचित आचरण प्रतिबंध विधेयक 2010 के साथ ही शैक्षिक सुधारों सम्बद्ध दो विधेयकों को मंजूरी दी। एक विधेयक शैक्षिक संस्थानों के विवादों के निपटान के लिए शैक्षिक न्यायाधिकरणों के गठन से सम्बद्ध है जबकि दूसरा राष्ट्रीय मान्यता एजेंसी की स्थापना से जुड़ा है। इन्हें भी अब संसद में पेश किया जाएगा। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि विधेयक में अपराध की गम्भीरता के आधार पर दंड का प्रावधान है। यदि एक या दो छात्रों से कैपिटेशन फीस वसूलने के इक्का दुक्का मामले प्रकाश में आते हैं तो यह दीवानी मामला बनेगा। ऐसे मामलों में शिक्षण संस्थान पर जुर्माना लगाया जाएगा। कैबिनेट ने देश में अलग से नैशनल पुलिस यूनिवर्सिटी की स्थापना के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है। कैबिनेट ने इसे काफी खर्चीला बताते हुए खारिज कर दिया।

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