पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, April 14, 2010

शादी के 66 साल बाद चाहिए तलाक

उम्र के जिस पड़ाव पर ज्यादातर दंपती अपनी शादी के एलबम देखते हैं और पुरानी यादें ताजा करते हैं उस अवस्था में एक दंपती तलाक और भत्ते की कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। 86 वर्षीय रमेश और 81 वर्षीय सुधा (नाम परिवर्तित) इस स्थिति के लिए एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं।
 
रमेश और सुधा 1977 से ही अलग रह रहे हैं। रमेश ने अब बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सुधा के वैवाहिक अधिकार बहाल करने और दंपती को पुन: एक साथ रहने का आदेश दिया गया था। रमेश ने कहा कि सुधा अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने में इतनी तल्लीन हो गई कि बाकी किसी भी चीज पर ध्यान नहीं दिया। उनके वकील संजीव कदम के मुताबिक, सुधा महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की महिला इकाई की अध्यक्ष रही हैं। दोनों की शादी 1944 में हुई थी और वे मुंबई में रहते थे। 1972 में रमेश ठाणो के इंदगांव जाकर पोल्ट्री फार्म का व्यवसाय शुरू करना चाहते थे।

तब सुधा ने जाने से मना कर दिया क्योंकि इससे उनका राजनीतिक जीवन प्रभावित होता। रमेश सुधा को एक फ्लैट, कार देकर इंदगांव रहने चले गए। रमेश ने बताया कि सुधा उनसे 20 साल से अलग है। वह उम्र के इस पड़ाव में उनके पास सिर्फ पैसों की खातिर आना चाहती है। उधर सुधा का कहना है कि रमेश के अपनी एक बिजनेस पार्टनर से प्रेम संबंध थे, इसलिए वे अलग हुईं थीं। सुधा ने कोर्ट से उचित भत्ता मांगा है।

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