पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, May 7, 2010

स्वतंत्रता सेनानी की याचिका पर 13 साल बाद फैसला

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर तीन माह के भीतर 29 मार्च, 1997 से समस्त परिलाभों समेत नियुक्ति देने के केन्द्र व राज्य सरकार को आदेश दिए हैं।

न्यायाधीश मोहम्मद रफीक की एकलपीठ ने यह आदेश स्वतंत्रता सेनानी करौली जिले के परसादी राम की वर्ष 1997 में दायर याचिका को मंजूर करते हुए दिए। स्वतंत्रता सेनानी परसादी राम ने भारतीय नौसेना में 19 मार्च, 1930 से 31 अक्टूबर, 1945 तक सेवाएं दी तथा देश की आजादी की लडाई लडी थी। परसादी राम ने राजस्थान स्वतंत्रता सेनानी सहायता नियम 1959 के तहत अपने परिजन को सरकारी सेवा देने की गुहार करते हुए याचिका दायर की। प्रार्थी का 1998 में देहांत हो गया तो उनका पुत्र पक्षकार बन गया। अदालत ने 22 मार्च 2010 को प्रार्थी ओमप्रकाश की याचिका को मंजूर करते हुए उसकी नियुक्ति चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर करने के 13 वर्ष बाद आदेश दिया है।

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