पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, May 27, 2010

हाईकोर्ट से राहत नहीं, अभी जेल में रहेंगे राठौड

हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौड़ को जेल में एक रात बिताने के बाद बुधवार को तत्काल राहत नहीं मिल सकी, क्योंकि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने रुचिका छेड़छाड़ मामले में उसकी जमानत याचिका को शुक्रवार तक टाल दिया।

अदालत के स्थगन के चलते 68 वर्षीय राठौड़ को कम से कम दो रातें और बुड़ैल जेल में बितानी होंगी जहां उसे मंगलवार शाम भेजा गया था। राठौड़ ने उच्च न्यायालय में अपनी वकील पत्नी आभा राठौड़ के माध्यम से एक पुनरीक्षा याचिका दायर करते हुए चिकित्सा आधार पर जमानत मांगी थी।

गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले सत्र न्यायालय ने इस मामले में दोषी ठहराने संबंधी उसकी अपील को खारिज कर दिया था और जेल की सजा की अवधि को छह माह से बढ़ाकर 18 माह कर दिया था। न्यायमूर्ति गुरदेव सिंह ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को 28 मई तक स्थगित कर दिया और साथ ही सीबीआई को एक नोटिस जारी किया।

आभा राठौड़ ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि अपीली अदालत ने मीडिया के दबाव के तहत आदेश पारित किया था। जब दोपहर में न्यायमूर्ति सिंह की अदालत में सुनवाई के लिए याचिका पेश की गई, आभा राठौड़ ने कहा कि अदालत इस मामले की सुनवाई गुरुवार को करे, लेकिन न्यायाधीश ने इसे शुक्रवार के लिए टाल दिया।

आभा ने कहा कि पूर्व पुलिस प्रमुख को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं। लेकिन न्यायाधीश ने इसके लिए वकील को एक अलग आवेदन दायर करने को कहा। राठौड़ की जमानत याचिका का भविष्य उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले पर जल्दी सुनवाई करने के फैसले पर निर्भर करता है। अदालत 29 मई को एक माह के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश के लिए बंद हो जाएगी।

सत्र न्यायालय ने 14 वर्षीय किशोरी रुचिका गिरहोत्रा से 1990 में छेड़छाड़ के मामले में राठौड़ की सजा को छह माह से बढ़ाकर 18 माह करते हुए पूर्व पुलिस अधिकारी को मंगलवार को जेल भेज दिया था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश गुरबीर सिंह ने मंगलवार को 103 पृष्ठ के अपने फैसले में यह भी कहा, ‘‘इस मामले के प्रत्येक गवाह को एक न एक आरोप का सामना करना पड़ा और गवाहों को सुनियोजित तरीके से कानूनी उलझनों में उलझाने के प्रयास किए गए.’’ न्यायाधीश ने 68 वर्षीय राठौड़ की छह माह सश्रम कारावास की सजा को चुनौती देने संबंधी अपील खारिज करते हुए कहा कि कानूनी लड़ाई दो असमान पक्षों के बीच थी.

राठौड़ को 14 वर्षीय उभरती टेनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा का यौन उत्पीड़न करने का दोषी ठहराया गया था और छह माह की सजा सुनाई गई थी. राठौड़ ने इस फैसले को चुनौती दी थी जिसके बाद अदालत ने उसकी सजा बढ़ा कर 18 माह कर दी.

न्यायाधीश ने कहा ‘‘हालांकि दोषी, भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत अपराध के लिए निर्दिष्ट अधिकतम सजा पाने का हकदार हैं, लेकिन उसकी उम्र, स्वास्थ्य संबंधी पृष्ठभूमि, उसकी अविवाहित एवं दिल की बीमारी से ग्रस्त बेटी, उसका बेहतर सर्विस रिकार्ड तथा मामले की सुनवाई के दौरान 200 से अधिक तारीखों पर अदालत में उपस्थिति को देखते हुए मेरी राय है कि सजा का उद्देश्य तब पूरा होगा, जब दोषी को डेढ़ साल के सश्रम कारावास की सजा दी जाए. अन्यथा लोगों का न्याय प्रणाली पर से विश्वास उठ जाएगा.’’

0 टिप्पणियाँ: