पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, May 12, 2010

निठारी हत्याकांड, सुरेंद्र कोली को फ़ांसी

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक अदालत ने नोयडा के बहुचर्चित निठारी हत्याकांड के एक मामले में मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली को आरती नाम की एक बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या के जुर्म में आज फ़ांसी की सजा सुनायी. सीबीआइ की गाजियाबाद अदालत के न्यायाधीश एके सिंह ने यह फ़ैसला सुनाया. अदालत ने सुरेंद्र कोली को सात वर्षीय आरती की हत्या के मामले में सुबूत नष्ट करने के अपराध में पांच साल, उसके साथ दुष्कर्म करने के जुर्म में सात साल और हत्या के दोष में मौत की सजा सुनायी. कोली पर तीन हजार रूपए का जुरमाना भी किया गया है. 

न्यायालय ने कोली को गत चार मई को दोषी करार दिया था. पांच मई को उसे सजा सुनाने की तारीख तय की थी, लेकिन वकीलों की हड़ताल के कारण कोली को तब सजा सुनायी नहीं जा सकी थी.उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के मुख्यालय नोयडा में साल 2006 में वीभत्स निठारी हत्याकांड से देशभर में शोक और नफ़रत की लहर फ़ैल गयी थी. इन मामलों की सुनवायी पड़ोसी जिले गाजियाबाद में हो रही थी.

फैसले के बाद 38 वर्षीय कोली ने इसे 'अंधा कानून' बताते हुए कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा। उसने यह भी कहा, "मुझे फंसाया गया है।" निठारी में हुई हत्याओं से जुड़े दूसरे मामले में भी कोली को फांसी की सजा सुनाई गई है। इससे पहले उसे रिंपा हलधर की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ए. के. सिंह ने अभियोजन पक्ष की उस दलील को स्वीकार कर लिया जिसमें कहा गया था कि आरती की हत्या एक जघन्यतम (रेयरेस्ट ऑफ रेयर) अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बाद न्यायाधीश ने कोली को फांसी की सजा सुनाई।

कोली को आरती की हत्या, उसके साथ बलात्कार का प्रयास, अपहरण और सबूतों के साथ छेड़छाड़ के मामले में चार मई को न्यायाधीश ए. के. सिंह ने दोषी ठहराया था। आरती 25 सितंबर 2006 को गायब हो गई थी। सुनवाई के दौरान बुधवार को सीबीआई के वकील सुरेश बत्रा ने कहा, "यह एक जघन्यतम अपराध है जिसमें अभियुक्त ने एक सात साल की बच्ची का अपहरण किया, उसका गला दबाया, उसके साथ बलात्कार का प्रयास किया और उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए।"

उन्होंने कहा, "कोली ने उसके शरीर के टुकड़ों को प्लास्टिक की थैलियों में रखा और अपराध में इस्तेमाल की गई सामग्री के साथ उसे फेंक दिया।" अभियोजन पक्ष के एक अन्य वकील जे. पी. शर्मा ने विभिन्न हत्याकांडों में सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि कोली का अपराध जघन्यतम अपराधों की श्रेणी में आता है। इसलिए वह मृत्युदंड का पात्र है।

बचाव पक्ष के वकील आदेश शर्मा ने अदालत से उदारता की अपील की। उन्होंने कहा कि कोली की मां विधवा है और वह अपने परिवार में अकेला कमाने वाला सदस्य था। उसके परिवार में दो बच्चे भी हैं। मृत्युदंड के अलावा कोली को अन्य अपराधों के लिए अलग सजा दी गई। अपहरण के लिए उसे 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

कोली को बलात्कार के प्रयास के लिए 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ सात साल के कारावास की सजा सुनाई गई।  सबूतों के साथ छेड़छाड़ के अपराध में भी उसे 1,000 रुपये का जुर्माना और सात साल के कारावास की सजा दी गई। कोली को पांच मई को सजा सुनाई जानी थी लेकिन उस दिन अदालती सुनवाई 12 मई तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।

आरती सितम्बर 2006 को अपने घर से लापता हो गई थी। वह निठारी गांव के उन 19 बच्चों और महिलाओं में से थी जिनके शरीर के अंग एक नाले से पाए गए थे।

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